चुनाव के समय बढ़ा कांग्रेस का झगड़ा,जी-23 ने फूंका हाईकमान के खिलाफ बिगुल

जी-23 की ओर से  आने वाले दिनों में  देश के अन्य स्थानों पर भी ऐसी बैठकों का आयोजन किया जा सकता है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे समय में कांग्रेस की आंतरिक कलह खुलकर सामने आने को अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।

Update:2021-02-28 10:40 IST
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। जम्मू में शनिवार को कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के जमावड़े से साफ हो गया है कि कांग्रेस में भीतरी तौर पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पिछले साल चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में संगठन चुनाव कराने और नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग करने वाले जी-23 नेताओं ने कांग्रेस की मजबूती पर जोर दिया है मगर साथ ही पार्टी हाईकमान के काम करने के ढंग पर सवाल भी उठाए हैं।

जम्मू में पार्टी नेताओं के भाषण को हाईकमान के खिलाफ संघर्ष का बिगुल माना जा रहा है। पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के तीखे तेवरों से पार्टी की आंतरिक कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के बुलावे पर पहुंचे नेताओं ने आजाद की राज्यसभा से विदाई पर भी सवाल उठा दिए।

चुनाव के समय सामने आई आंतरिक कलह

जानकार सूत्रों का कहना है कि जी-23 की ओर से आने वाले दिनों में देश के अन्य स्थानों पर भी ऐसी बैठकों का आयोजन किया जा सकता है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे समय में कांग्रेस की आंतरिक कलह खुलकर सामने आने को अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।

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विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद असंतुष्ट नेताओं की ओर से और तीखे तेवर अपनाए जा सकते हैं और यह स्थिति कांग्रेस नेतृत्व के लिए और बड़ी मुसीबत साबित होगी।

आजाद की विदाई पर सिब्बल की नाराजगी

जम्मू में जुटे नेताओं में सबसे तीखा तेवर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का रहा। सिब्बल हाल के दिनों में पार्टी नेतृत्व को समय-समय पर आईना दिखाते रहे हैं। बिहार चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर भी उन्होंने पार्टी को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी।

पार्टी के संगठन चुनाव टाले जाने पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे। जम्मू में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने राज्यसभा से गुलाम नबी आजाद की विदाई को लेकर सवाल उठाया।

पार्टी हाईकमान को भी घेरा

उन्होंने कहा कि आजाद पार्टी के ऐसे नेता रहे हैं जिन्हें हर राज्य के हर जिले में कांग्रेस की हकीकत और उसकी ताकत के बारे में पूरी जानकारी है। हमें जब यह पता चला कि वे अब राज्यसभा में नहीं दिखेंगे तो हमें काफी दुख हुआ।

पार्टी हाईकमान की ओर अप्रत्यक्ष रूप से इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सवाल समझ से परे है कि आखिर कांग्रेस नेतृत्व उनके अनुभवों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा है।

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उन्होंने आजाद की तुलना विमान के इंजीनियर से करते हुए कहा कि विमान के लिए पायलट के साथ ही इंजीनियर भी जरूरी है और पार्टी नेतृत्व को यह समझना होगा। विमान में कोई भी खराबी आने पर इंजीनियर ही उसे ठीक करता है। आजाद भी उस इंजीनियर की तरह पार्टी के लिए अब तक काम करते रहे हैं।

पार्टी के लगातार कमजोर होने पर उठे सवाल

कपिल सिब्बल के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने भी कांग्रेस के लगातार कमजोर होने का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है और हम पार्टी की बेहतरी के लिए आवाज उठा रहे हैं।

उन्होंने पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने पर जोर देते हुए नई पीढ़ी को भी पार्टी से जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के अच्छे दिन देख चुके हैं। अब इस उम्र में कांग्रेस को कमजोर नहीं देखना चाहते।

आंदोलन से निकलने वाले नेता

पार्टी में विरोधियों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हममें से कोई भी नेता ऐसा नहीं है जो खिड़की या रोशनदान के जरिए आगे आया हो। हम सभी लोग छात्र आंदोलन से निकले हुए लोग हैं और सभी दरवाजे से ही पार्टी में आए हैं।

हमने किसी को यह हक नहीं दिया है तो वह हमें बताएं कि हम कांग्रेस में है या नहीं। उन्होंने पार्टी की एकता और उसे मजबूत बनाने पर भी जोर दिया।

कांग्रेस को मजबूत बनाने पर जोर

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि लोग कहते हैं कि यह जी-23 है पर यह गांधी-23 है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विश्वास व संकल्प पर सोच के साथ देश का संविधान बना था। कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ इसे आगे ले जाने के लिए खड़ी है। उन्होंने कहा कि जी-23 का मकसद है कि कांग्रेस को मजबूत बनाया जाए।

राजनीति से रिटायर नहीं हुआ

गैर सरकारी संगठन गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से किए गए इस आयोजन में गुलाम नबी आजाद के समर्थकों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। सम्मेलन में आजाद ने कहा कि मैं राज्यसभा से सेवानिवृत्त जरूर हो गया हूं मगर राजनीति से रिटायर नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सभी धर्मों, जातियों और लोगों का सम्मान किया जाता है और यही पार्टी की असली ताकत है। उन्होंने कोई तीखी बात न कहते हुए कांग्रेस को मजबूत बनाने पर ही जोर दिया। सम्मेलन में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी और विवेक तन्खा ने भी पूरी बेबाकी से अपनी बात रखी।

सिंघवी ने दिया असंतुष्टों को जवाब

जम्मू सम्मेलन में असंतुष्ट नेताओं की ओर से कही गई बातों का हाईकमान की ओर से अभी तक जवाब नहीं दिया गया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने जम्मू सम्मेलन के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के कमजोर होने के दावे को लेकर नाखुशी जाहिर की।

उन्होंने कहा कि इन नेताओं को सम्मेलन का आयोजन करने की जगह 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की मदद के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्तेमाल शब्द का प्रयोग करने वाले लोगों को कांग्रेस की विरासत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आजाद के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया जबकि वे कांग्रेस में कई बड़े पदों पर रहे हैं और 7 बार पार्टी से सांसद भी चुने गए।

मतभेदों को दूर करने की जगह चुप्पी

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तिथियों के एलान के बाद जम्मू में आयोजित इस सम्मेलन से साफ हो गया है कि कांग्रेस में अंदरखाने सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी में आंतरिक मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं और हाईकमान इन मतभेदों को दूर करने की जगह चुप्पी साधे बैठा है।

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पार्टी के संगठन चुनाव विधानसभा चुनावों तक टाले जा चुके हैं और ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि जी-23 की ओर से आने वाले दिनों में क्या कदम उठाए जाते हैं।

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