कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया था, संविधान को रौंदा था, आपातकाल की बरसी पर बोले PM मोदी, शाह, नड्डा व राजनाथ
PM Modi Emergency: आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को मोदी ने कहा कि सत्ता को हासिल करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल खाना बना दिया।
PM Modi Emergency: 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था। आज आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ हैं। इसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र का काला दिन करार दिया है। उन्होंने कहा कि आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। आपातकाल का काला दिवस हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के उस संविधान को रौंदा, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।
कांग्रेस से असहमत वाले हर व्यक्ति को किया गया प्रताड़ित
आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को मोदी ने कहा कि सत्ता को हासिल करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेलखाना बना दिया। कांग्रेस से असहमत होने वाले हर व्यक्ति को प्रताड़ित किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाया गया और सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गईं। उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाने वालों को हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम को दर्शाने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 थोपा, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने वाला विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।
उन्होंने कहा कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था, वह आज भी उसी पार्टी में मौजूद है। वे संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को अपने दिखावे के माध्यम से छिपाते हैं लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को समझ चुकी है। यही वजह है कि जनता ने उन्हें बार-बार नकार दिया है।
कांग्रेस ने सत्ता सुख के लिए छीने थे अधिकार
आपातकाल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, देश में लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार आघात करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। साल 1975 में आज के ही दिन कांग्रेस के द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बांध दिए थे। आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करता हूं।
आवाज को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा कि 25 जून 1975... यह वो दिन है जब कांग्रेस पार्टी के आपातकाल लगाने के राजनीतिक रूप से प्रेरित फैसले ने हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया था और डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने की कोशिश की थी। इस दौरान जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. आज हम अपने महान नायकों द्वारा किए गए बलिदानों को याद करते हैं जो इमरजेंसी के दौरान बहादुरी से लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में खड़े रहे। मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से जुड़ी है जिसने आपातकाल का डटकर विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया।
लोकतंत्र के इतिहास में यह काला अध्याय, इसे नहीं भुलाया जा सकता
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, आज के ठीक 49 साल पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता. सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का जिस तरह खुला खेल उस दौरान खेला गया, वह कई राजनीतिक दलों की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि यदि आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है तो उसका श्रेय उन लोगों को जाता है जिन्होंने लोकतंत्र की बहाली के संघर्ष किया, जेल गये और न जाने कितनी शारीरिक और मानसिक यातना से उन्हें गुजरना पड़ा। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगीं।