इंदिरा का तीसरा बेटा कांग्रेस की चार पीढ़ियों का वफादार, आज मना रहा है जन्मदिन
कानपुर के एक व्यवसायी परिवार में जन्म लेने वाले कमलनाथ की संजय गांधी से दोस्ती दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई। कारोबारी परिवार से होने की वजह से कमलनाथ पर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का दबाव था लेकिन संजय की दोस्ती उन्हें राजनीति में घसीट लाई।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: कानपुर की गलियों में जन्म लेने वाले एक युवक ने संजय गांधी के साथ दोस्ती का ऐसा फर्ज निभाया कि न केवल उनके लिए जेल गया बल्कि संजय गांधी की मां इंदिरा गांधी को चुनौती देने वाले मोरार जी भाई देसाई को भी सत्ता से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया। अपने इसी करिश्माई व्यक्तित्व के बूते यह युवक कांग्रेस के लिए इतना अहम हो गया कि इंदिरा ने उसे अपना तीसरा बेटा कहकर मध्य प्रदेश के मतदाताओं के सामने पेश कर दिया। मध्यप्रदेश ने इंदिरा की अपील का मान रखा और आगे चलकर उसे मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौंप दी। आज भले ही उनके नाम के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जुड़ गया है लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति में इंदिरा के इस तीसरे बेटे कमलनाथ का विकल्प कोई नहीं है।
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कमलनाथ की संजय गांधी से दोस्ती दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई
कानपुर के एक व्यवसायी परिवार में जन्म लेने वाले कमलनाथ की संजय गांधी से दोस्ती दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई। कारोबारी परिवार से होने की वजह से कमलनाथ पर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का दबाव था लेकिन संजय की दोस्ती उन्हें राजनीति में घसीट लाई। संजय से दोस्ती की खातिर वह जेल भी गए और मकसद केवल संजय की जेल में हिफाजत और उनका साथ देना ही था। इसके लिए कमलनाथ ने बाकायदा अदालत में जज के ऊपर कागज का गोला फेंका और तुरंत सजा सुनकर जेल चले गए। यह पहला मौका था जब इंदिरा गांधी की संजय के इस दोस्त पर विशेष नजर पड़ी।
इसके बाद संजय के साथ परछाईं की तरह रहने वाले इस युवक ने आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जब मोरार जी भाई देसाई का खेल बिगाड़ दिया तो इंदिरा को अहसास हो गया कि संजय के मित्र में कई खूबियां हैं और वह राजनीति की चौसर पर सधी चालें चलने में माहिर है। कांग्रेस के पुराने नेताओं की चर्चाओं में रहने वाले कमलनाथ के बारे में कहा जाता है कि संजय गांधी ने उन्हें पंजाब में सिख संगत के ग्रंथी हरचरण सिंह लोगोंवाल के प्रभाव को कम करने में इस्तेमाल किया। कमलनाथ ने ही जरनैल सिंह भिंडरावाले का चयन कर उन्हें लोगोंवाल के खिलाफ खड़ा किया।
इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा की चुनावी सभा में कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहकर पेश किया
संजय और कमलनाथ की यह खोज हालांकि आगे चलकर इंदिरा गांधी के लिए भी परेशानी का सबब बना लेकिन कमलनाथ से इंदिरा गांधी इस कदर प्रभावित हो चली थीं कि लगभग 40 साल पहले छिंदवाड़ा की चुनावी सभा में कमलनाथ को उन्होंने अपना तीसरा बेटा कहकर पेश किया। कमलनाथ को छिंदवाड़ा के मतदाताओं ने भी तभी से अपना बना लिया और आज तक अपना प्रतिनिधि बनाए हुए हैं। छिंदवाड़ा और मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने इंदिरा के इस तीसरे बेटे को मुख्यमंत्री भी बनाया।
कारोबारी भी बने रहे कमलनाथ
संजय गांधी की दोस्ती की वजह से राजनीति में आने वाले कमलनाथ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाते रहे हैं। वह देश के उन चुनिंदा नेताओं में हैं जिनकी निजी संपत्ति भी करोड़ों में है। पिछले चुनाव में उन्होंने अपनी 126 करोड़ की संपत्तियों का ऐलान किया जबकि उनके बेटे की हैसियत भी लगभग सात अरब की है। एक साल पहले मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने अपना जन्मदिन अपनी मिल्कियत वाले फाइव स्टार होटल में मनाया था।
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गांधी-नेहरू परिवार की चार पीढिय़ों , संजय, इंदिरा, राजीव, सोनिया व राहुल के साथ काम करने वाले कमलनाथ के बारे में उनके विरोधी भी कहते हैं कि उन्हें रिश्ते निभाना बखूबी आता है। वह जिससे एक बार मिल लेते हैं उसे अपना बना लेने में देर नहीं करते। यही वजह है कारोबार के साथ ही साथ राजनीति में भी वह अगली कतार में ही खड़े दिखाई दे रहे हैं।
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