NCP में शामिल हुए पीसी चाको, गुटबाजी से नाराज होकर छोड़ी थी कांग्रेस

गुटबाजी और पार्टी के अंदर व्यप्त असंतोष कांग्रेस को ले डूब रही है। इसी के चलते कांग्रेस में एक के बाद एक नेताओं के जाने का सिलसिला लगा हुआ है।

Update:2021-03-16 18:48 IST

नई दिल्ली। गुटबाजी और पार्टी के अंदर व्यप्त असंतोष कांग्रेस को ले डूब रही है। इसी के चलते कांग्रेस में एक के बाद एक नेताओं के जाने का सिलसिला लगा हुआ है। गुटबाजी के चलते हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि हो सकता है कांग्रेस उन्हें मना ले, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने आज एनसीपी में शामिल होने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने शरद पवार मुलाकात भी कर ली है। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के बारे में कहा कि पार्टी जिस संकट से गुजर रही है, इसके लिए पार्टी को इस पर चर्चा करनी चाहिए।

भविष्य की रणनीति पर कही यह बात

एनसीपी में शामिल होने के बाद पीसी चाको ने कहा कि भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा के लिए मैंने सीताराम येचुरी और गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि केरल विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ के विरोध में वाम मोर्चे यानी एलडीएफ का प्रचार करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि कभी कांग्रेस के बेहद करीबी रहे पीसी चाको का विरोध कितना भारी पड़ सकता है। फिलहाल केरल से जो रुझान मिल रहे हैं, उसमें लेफ्ट की सरकार बनती नजर आ रही है।

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गौरतलब है कि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बदत्तर होती स्थिति के लिए शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। लेकिन यह सब कुछ जानते हुए पार्टी में शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं है। शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने वालों का पार्टी में हाशिए पर कर दिया जाता है शायद यही वजह है कि कांग्रेस में गुटबाजी का दौर चल पड़ा है। कोई भी ऐसा राज्य नहीं है जहां कांग्रेस गुटबाजी से न जूझ रही हो। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के पक्ष में प्रचार करने की जगह किसान महापंचायत करने में मस्त है। बता दें कि हाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की भी भाजपा से नजदीकियां बढ़ी हैं। हालांकि कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद सहित 23 अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं को अलग टीम में रख दिया है। पार्टी में नेताओं के आने—जाने का सिलसिला लगा रहता है। हैरत की बात यह है कि कांग्रेस में आने की जगह लगतार जाने का सिलसिला जारी है।

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