Congress President Election: अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार की पसंद हैं खड़गे, गहलोत ने भी किया समर्थन
Congress President Election: राजस्थान के सियासी बवाल से पहले गहलोत को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर इस बवाल के बाद वे अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए।
Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के बीच होगा। नामांकन के आखिरी दिन खड़गे की एंट्री के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए। उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन न करने का ऐलान करते हुए खड़गे का प्रस्तावक बनने की भी घोषणा की।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को ही पार्टी अध्यक्ष का चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया था। राजस्थान के सियासी बवाल से पहले गहलोत को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर इस बवाल के बाद वे अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए। गहलोत ने अध्यक्ष पद के लिए खड़गे की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
सियासी मैदान और संसदीय जीवन का लंबा अनुभव रखने वाले खड़गे को गांधी परिवार का आशीर्वाद हासिल है। अध्यक्ष के चुनाव में उतरने से पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इससे पहले प्रियंका गांधी के आवास पर गुरुवार को रात में हुई बैठक में खड़गे के नाम पर ही सहमति बनी थी। ऐसे में अब थरूर के मुकाबले खड़गे की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है और कांग्रेस के अधिकांश प्रतिनिधियों का उन्हें समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
खड़गे का साथ देंगे दिग्विजय
अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे की एंट्री के बाद मीडिया से बातचीत में दिग्विजय ने कहा कि मुझे पता चला है कि खड़गे जी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और मैं उनका काफी सम्मान करता हूं। इसलिए मैं अब चुनाव मैदान में नहीं उतरूंगा और मैं खड़गे का प्रस्तावक बनूंगा। दिग्विजय ने कहा कि मैंने खड़गे से मुलाकात में उनका साथ देने का वादा किया है। मैंने उनसे साफ तौर पर कहा कि मैं आपके खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोच सकता।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं तीन मुद्दों को लेकर कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। पहला गरीब, दलित और आदिवासी के हित। दूसरा सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष और तीसरा विषय यह है कि मैं गांधी-नेहरू परिवार के प्रति वफादार हूं। दिग्विजय के नामांकन करने की चर्चा के बाद उनके आवास पर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटी थी मगर उनके चुनाव मैदान में से हटने के बाद कार्यकर्ताओं में निराशा दिखी।
गहलोत भी खड़गे के समर्थन में
खड़के की उम्मीदवारी तय होने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उनसे मुलाकात करने के लिए पहुंचे। इस मुलाकात के बाद गहलोत ने खड़गे को अनुभवी नेता बताते हुए कहा कि उनका चुनाव मैदान में उतरने का फैसला बिल्कुल सही है। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव फ्रेंडली मैच की तरह होगा। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे मैं पूरा करूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे लिए सबसे ज्यादा अहम विपक्ष की एकजुटता है। देशवासी कांग्रेस को मजबूत बनाना चाहते हैं और इसके लिए राहुल गांधी पद यात्रा पर निकल चुके हैं।
इस बीच सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि अब अध्यक्ष पद का चुनाव खड़गे और थरूर के बीच होगा। उन्होंने कहा कि दिग्विजय ने तो इसलिए चुनाव लड़ने का ऐलान इसलिए किया था क्योंकि मैदान में कोई नहीं था। अब मलिकार्जुन खड़गे के चुनाव मैदान में उतरने के बाद वे चुनाव नहीं लड़ेंगे अब मुकाबला खड़गे और थरूर के बीच होगा। उन्होंने पीएल पुनिया के साथ खड़गे से मुलाकात भी की।
काफी अनुभवी नेता हैं खड़गे
कर्नाटक के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले खड़गे जमीनी नेता रहे हैं। खड़गे 8 बार के विधायक, दो बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रहे हैं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वे कर्नाटक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। यूपीए सरकार के कार्यकाल में वे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
छात्र राजनीति सियासी अखाड़े में कूदने वाले खड़गे ने मजदूरों के हक की लंबी लड़ाई लड़ी है। कांग्रेस के समीकरण बिठाने के लिहाज से भी उन्हें मजबूत माना जा रहा है। वैसे उनकी कुछ सीमाएं भी हैं। कर्नाटक के बाहर खड़गे की कोई पकड़ नहीं मानी जाती। साथ ही 80 साल की उम्र होने के कारण उन्हें लंबी रेस का घोड़ा नहीं माना जा सकता।