भारत होगा बहुत गरीब! 13.5 करोड़ नौकरियां खतरे में, बेरोजगारी से मचेगी त्राहि-त्राहि

कोरोना वायरस से जूझ रहे भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, जो फ़िलहाल 31 मई तक जारी रहेगा। ऐसे में देश में सभी तरफ का व्यापार, उद्योग लगभग सबकुछ ठप्प हैं। इससे आर्थिक हालात डगमगा गए।

Update:2020-05-18 11:19 IST

कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन से भारत की अर्थ व्यवस्था चरमरा गयी है। ऐसे में नौकरीपेशा लोगों को तगड़ा झटका लगा है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 13.5 करोड़ लोगों की नौकरी लॉकडाउन के कारण खतरे में हैं। वहीं लगभग 12 करोड़ लोग गरीबी के दायरे में आ सकते हैं।

आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट में दावा

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल ने लॉकडाउन के कारण भारत के उद्योग व व्यापार पर पड़ने वाले असर पर सर्वे किया है। स्टडी के मुताबिक उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना संकट के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय तो कम होगी ही, साथ ही करोड़ो लोगों की नौकरी भी चली जायेगी।

भारत की जीडीपी में तीव्र गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीव्र गिरावट आएगी। इसके तहत वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 10.8 फीसदी की गिरावट, वहीं वित्त पर्ष 2021-22 में 0.8 फीसदी की जीडीपी वृद्धि होगी।

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जा सकती हैं 13.5 करोड़ लोगों की नौकरी

कोरोना वायरस से जूझ रहे भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, जो फ़िलहाल 31 मई तक जारी रहेगा। ऐसे में देश में सभी तरफ का व्यापार, उद्योग लगभग सबकुछ ठप्प हैं। इससे आर्थिक हालात डगमगा गए।

ऐसे में 13.5 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है और 17.4 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते है। इसके कारण देश में बेरोजगारी 7.6 प्रतिशत से बढ़कर 35 फीसदी हो सकती है।

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12 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे

दावा किया गया कि कोरोना के कारण करीब 12 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे। 12 करोड़ से ज्यादा लोग विश्व बैंक द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे चल जाएंगे। इनमे 4 करोड़ लोग बहुत ही गरीबी में पहुंच सकते हैं। वो कामगार जो प्रतिदिन 245 रुपये के हिसाब से कमाते हैं, और अधिक गरीब हो जाएंगे।

अभी 60 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे

बता दें कि भारत में 60 प्रतिशत आबादी यानी 81 करोड़ 12 लाख लोग पहले ही गरीबी रेखा से नीचे हैं। ऐसे में अगर रिपोर्ट सच साबित हुई तो देश में 92 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ जाएँगे। यानी जो 60 फीसदी लोग अभी गरीबी रेखा के नीचे हैं, उनका आंकड़ा बढ़कर 69 फीसदी हो जाएगा।

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