Corona New Variant JN.1: कोरोना का नया वेरिएंट फैला, इम्युनिटी को देता है चकमा, एहतियात बरतना जरूरी

Corona New Variant JN.1: नया कोरोना वायरस वेरिएंट है जेएन.1 और भारत में इसे सबसे पहले केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट किया गया था।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-12-19 13:31 IST

Corona New Variant  (photo: social media )

Corona New Variant JN.1: दुनिया में अनेक देशों में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। भारत में तो केस कम हैं लेकिन अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर, मलेशिया आदि देशों में नए संक्रमणों की भारी संख्या देखी जा रही है। डब्लूएचओ ने भी इस वेरिएंट पर ध्यान केंद्रित किया है।

कितना खतरनाक है जेएन.1

नया कोरोना वायरस वेरिएंट है जेएन.1 और भारत में इसे सबसे पहले केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट किया गया था।

- ये वेरियंट मानव एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को चकमा देने की क्षमता रखता है, इस प्रकार यह अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैलने में सक्षम है।

- हालांकि शुरुआती संकेत यह हैं कि जेएन.1 जानलेवा नहीं है लेकिन यह पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों में जटिलता बढ़ा सकता है।

- जेएन.1 शरीर की इम्युनिटी और प्रोटेक्शन प्रणाली को भेद सकता है।


केंद्र सरकार ने जारी की सलाह

जेएन.1 के अंतर्निहित जोखिमों और भारत में कोरोना महामारी की स्थिति के कारण, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक सलाह जारी करके कहा है कि वे निरंतर जिला स्तर तक कोरोना की स्थिति पर निगरानी रखें।स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी सलाह में कहा कि आगामी त्योहारी सीज़न को ध्यान में रखते हुए, बीमारी के संचरण में वृद्धि के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएं करने की आवश्यकता है। राज्यों से नियमित आधार पर सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी मामलों की जिला-वार रिपोर्टिंग की बारीकी से निगरानी करने का भी आग्रह किया है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि सभी जिलों में कोरोना का पर्याप्त परीक्षण उपलब्ध हो।


सीडीसी का सुझाव

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का सुझाव है कि कोरोना सबवेरिएंट जेएन.1 अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्ट्रेन है और यह अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में बेहतर है।

अभी ये असमंजस है कि क्या जेएन.1 स्वाभाविक रूप से प्राप्त या वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच जाएगा, लेकिन सीडीसी ने सतर्क चिंता जताई है। सीडीसी ने कहा है कि जेएन.1 की निरंतर वृद्धि से पता चलता है कि यह या तो अधिक संक्रामक है या हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में बेहतर है।नवीनतम सीडीसी डेटा से पता चलता है कि नए संस्करण में अमेरिका के सभी मामलों में अनुमानित 15-29 प्रतिशत शामिल हैं और इसका ठोस प्रभाव हो रहा है।

एजेंसी ने अपने साप्ताहिक अपडेट में कहा, अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।


क्या है जेएन.1

जेएन.1 सबवेरिएंट बीए.2.86 से निकटता से संबंधित है, जिसे पहली बार पिछले साल अगस्त में पाया गया था, और इसमें ओमीक्रॉन एक्सबीबी.1.5 की तुलना में 30 से अधिक म्यूटेशन शामिल हैं। जेएन.1 विशेष चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि एक्सबीबी.1.5 की तुलना में इसके स्पाइक प्रोटीन में तीन दर्जन से अधिक म्यूटेशन हैं। दरअसल कोरोना स्पाइक प्रोटीन (वायरस का बाहरी हिस्सा जिसे प्रतिरक्षा प्रणाली पहचानती है) के माध्यम से हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करती है, इसलिए वायरस के स्पाइक प्रोटीन में जितना अधिक म्यूटेशन होगा, उतनी अधिक संभावना है कि यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच जाएगा। यानी शरीर में घुस जाएगा।


क्या हैं लक्षण

- नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार संक्रमित मरीजों में शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, नाक बहना, गले में खराश शामिल हैं। कुछ मामलों में पेट दर्द और मरोड़ संबंधी समस्याएं होती हैं।

- लक्षण आमतौर पर 4-5 दिनों में सुधर जाते हैं। कुछ रोगियों को साँस लेने में समस्या भी हो सकती है।

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