सरकार ने जारी की गाइडलाइन, लाॅकडाउन के बाद फैक्ट्रियों में ऐसे होगा काम

लॉकडाउन के दौरान देश में दो तीन फैक्ट्रियों/औद्योगिक प्लांट में हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के बाद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को फिर से शुरू करने के लिए विस्तार से दिशानिर्देश जारी किया है।

Update: 2020-05-10 05:38 GMT

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान देश में दो तीन फैक्ट्रियों/औद्योगिक प्लांट में हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के बाद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को फिर से शुरू करने के लिए विस्तार से दिशानिर्देश जारी किया है। साथ ही खतरे की कैटेगरी में आने वाली औद्योगिक यूनिट को लेकर सरकार ने विशेष सावधानी बरतने को कहा है।

सामान्य दिशा-निर्देश

लॉकडाउन खुलने के बाद औद्योगिक यूनिट को दोबारा शुरू करते समय, पहले सप्ताह को परीक्षण या परीक्षण अवधि के रूप में माना जाएगा। फैक्ट्री प्रबंधन सुरक्षा और प्रोटोकॉल सुनिश्चित करें और पहले ही सप्ताह में उच्च उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश ना करें।

खतरे की आशंका को कम करने के लिए विशेष मशीनों पर काम करने वाले कर्मचारियों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। ऐसे कर्मचारियों या स्टाफ या इंजीनियरों को मशीनों से आने वाली विचित्र आवाजें, खुली तारें, वाइब्रेशन, विचित्र बदबू, धुएं, लीक का ध्यान रखना होगा और आवश्यकता पड़ने पर मरम्मत करवाएंगे, अथवा प्लांट को बंद करवाएंगे।

साथ ही सभी मशीनों का समय-समय पर सुरक्षा मानकों के मुताबिक निरीक्षण किया जाए।

फैक्ट्री में तकनीकी समस्या आने पर और स्थानीय स्तर पर उसका निदान मुश्किल हो तो फैक्ट्री प्रबंधन जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।

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विशेष उद्योगों के लिए दिशा-निर्देश

कच्चे माल (Raw material) के स्टोरेज की जांच किया जाएगा। ये सुनिश्चित किया जाए कि लॉकडाउन के दौरान कच्चे माल में किसी तरह की कोई खराबी तो नहीं आई। सामान खराब होकर जहरीला तो नहीं हुआ इसका भी ध्यान रखा जाए।

रासायनिक पदार्थों के इस्तेमाल से पहले जांच होनी जरूरी है।

स्टोरेज एरिया में रोशनी और हवा के आने-जाने की पर्याप्त व्यवस्था हो।

सप्लाई पाइपलाइन/वॉल्व्स/ कन्वेयर बेल्ट की जांच की जाए।

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निर्माण यूनिट के लिए दिशा निर्देश

फैक्ट्री को फिर से चालू करने से पहले औद्योगिक परिसर का सेफ्टी ऑडिट किया जाना चाहिए।

साथ ही सभी पाइप, उपकरण और डिस्चार्ज लाइन की उचित सफाई की जानी चाहिए। जरूरत पड़ने पर एयर प्रेशर और वाटर प्रेशर से सफाई हो।

बॉयलर/ फ्यूरेंस का उपयोग करने से पहले पूरी तरह से जांच लें।

सभी प्रेशर और टेम्प्रेचर से जुड़ी मशीनें ठीक से काम कर रही हैं या नहीं इसका ध्यान रखा जाए।

इस बात को व्यवस्था हो कि आवश्यकता पड़ने पर इमरजेंसी टीम, एक्सपर्ट प्रोफेशनल टीम जल्द से जल्द घटनास्थल तक पहुंच सके।

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मजदूरों व वर्करों के लिए दिशानिर्देश

फैक्ट्री परिसर में 24 घंटे सैनिटाइजेशन प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। लंच रूम, कॉमन रूम, मीटिंग हॉल को हर दो से तीन घंटे के बाद सैनिटाइट करें।

औद्योगिक परिसर में काम करने वाले कर्मचारियों का दिन में दो बार टेम्परेचर जरूर चेक किया जाए।

जिन मजदूरों व वर्करों में कोई भी लक्षण नजर आए, वो काम पर नहीं आए।

औद्योगिक परिसर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए हैंड सैनिटाइजर्स, ग्लव्स और मास्क की व्यवस्था की जाए।

मजदूरों को इस बात की जानकारी दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए क्या-क्या सावधानियां बरती जाएं, मजदूरों स्टाफ को इस बात की जानकारी देना।

वर्क फ्लोर और डाइनिंग हॉल में फिजिकल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था करें।

यात्रा करके आए सभी कर्मचारियों को 14 दिनों के लिए क्वारनटीन किया जाए।

24 घंटे काम करने वाली फैक्ट्रियों में हर शिफ्ट में एक घंटे का अंतराल हो।

प्रबंधकीय और प्रशासनिक सेवा के लिए काम कर रहे स्टाफ एक शिफ्ट में 33 प्रतिशत ही मौजूद रहेंगे।

जहां तक संभव हो स्टाफ व मजदूर वर्क स्टेशन शेयर नहीं करें।

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