सैकड़ों कोरोना मृतकों दी सद्गतिः नहीं रहा वॉरियर आरिफ, उपराष्ट्रपति दुखी

कोरोना काल में लोगों का मसीहा बनकर सामने आए आरिफ खान की कोरोना वायरस से मौत हो गई। उनकी मौत पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी शोक व्यक्त किया है।

Update:2020-10-11 12:28 IST
कोरोना के चलते कोविड वॉरियर आरिफ खान की मौत

नई दिल्ली: कोरोना वायरस काल में जहां अपना ही सगा नहीं हो रहा है, ऐसे समय में दिल्ली के सीलमपुर इलाके के रहने वाले आरिफ खान लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आए थे। जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालते हुए दो सौ से ज्यादा मरीजों को अस्पताल पहुंचाया और 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान पहुंचाया, अब उनकी ही जान कोरोना ने ले ली। शनिवार सुबह कोरोना वायरस महामारी के चलते मौत हो गई। इनका इलाज हिंदूराव अस्पताल में चल रहा था।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने व्यक्त किया शोक

कोरोना वॉरियर के निधन पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Vice President M Venkaiah Naidu) ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने आरिफ की मौत पर ट्वीट करते हुए लिखा कि कोविड महामारी के विरुद्ध अभियान के समर्पित योद्धा दिल्ली के श्री आरिफ खान की मृत्यु के समाचार से दुखी हूं। महामारी के दिनों में अपनी एम्बुलेंस से आपने मृतकों की सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि में सहायता की। ऐसे समर्पित नागरिक की मृत्यु समाज के लिए क्षति है। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर पुण्यात्मा को आशीर्वाद दें और परिजनों को धैर्य प्रदान करें।



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शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े थे आरिफ

जानकारी के मुताबिक आरिफ बीते 25 सालों से शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ जुड़े थे। आरिफ मुफ्ते में ही लोगों को एम्बुलेंस की सेवा मुहैया कराते थे। महामारी के चलते लागू हुए लॉकडाउन के बाद आरिफ कोरोना मरीजों को घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर पहुंचाने का काम कर रहे थे। वहीं शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि मुस्लिम होने के बाद भी आरिफ ने अपने हाथों से सौ से ज्यादा हिंदुओं के शव का अंतिम संस्कार किया है। उन्होंने बताया कि आरिफ बहुत जिंदादिल इंसान थे।

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शंटी ने खुद किया आरिफ का अतिम संस्कार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि आरिफ की जब मौत हुई तो उनका परिवार अंतिम संस्कार के लिए उनके पास नहीं थे। उन्होंने आरिफ का शव दूर से ही देखा था। वहीं शंटी ने खुद उनका अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया। शंटी ने बताया कि वो ना केवल मरीजों को अस्पताल ले जाने का काम करते थे, बल्कि उनका अंतिम संस्कार भी करते थे। केवल इतना ही नहीं अगर मरीजों के परिजनों का आर्थिक मदद की भी आवश्यकता होती थी तो वो आर्थिक मदद भी करते थे।

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कोरोना से हुई मौत

बताया जा रहा है कि 3 अक्टूबर को आरिफ की तबीयत खराब हुई थी, तब भी वह कोरोना मरीज को लेकर अस्पताल जा रहे थे। वहीं जब उनका कोरोना टेस्ट कराया गया तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और उसी दिन उनका निधन हो गया। आरिफ अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। वहीं शंटी ने सरकार से मांग की है कि आरिफ के परिजनों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाए।

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