देशभर के जिले तीन जोन में बंटे, कोरोना संक्रमितों की तलाश के लिए अब होगा ऐसा
कोरोना संकट से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है। देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 12 हजार के पार पहुंच गया है और 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
नई दिल्ली: कोरोना संकट से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है। देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 12 हजार के पार पहुंच गया है और 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने सख्त गाइडलाइन जारी की है। अब पूरे देश के सभी जिलों को तीन जोन में बांट दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है। इसके तहत सभी जिलों को तीन जोन में बांटा गया है। पहला- हॉटस्पॉट, दूसरा- नॉन हॉटस्पॉट और तीसरा- वह जिले जहां अब तक कोई केस नहीं आए हैं। इन जिलों में कोरोना को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम कई एजेंसियों के साथ कोआर्डिनेट कर रही है।
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डोर टू डोर होगा सर्वे
देश में अभी 170 हॉटस्पॉट जिले हैं। इन जिलों में अब डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। इन जिलों में जो भी लोग किसी भी फ्लू या खांसी-सर्दी से पीड़ित मिलेंगे, उनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा। हॉटस्पॉट एरिया में लोगों की पहचान के लिए हर हफ्ते अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान हर सोमवार को चला जाएगा। हॉटस्पॉट से सटे एरिया को बफर जोन घोषित किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 25 राज्यों में 170 जिलों को कोरोना हॉटस्पॉट और 27 राज्यों में 207 जिलों को नॉन-हॉटस्पॉट घोषित किया गया है। मंत्रालय ने दोहराया है कि देश में अब तक कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का खतरा नहीं है। कोरोना वायरस के लगभग 11.41 प्रतिशत रोगी संक्रमण से उबर चुके हैं।
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मंत्रालय के मुताबिक बफर जोन में स्पेशल टीम की ओर से अभियान चलाकर एक्टिव केस की तलाश की जाएगी। लोगों का सैंपल लिया जाएगा और उनका टेस्ट किया जाएगा। इन एरिया में आवश्यक सेवाओं को जारी रखा जाएगा। इसके साथ ही टीम मरीज के संपर्क में आए लोगों की तलाश करेगी। इसके लिए रेड क्रॉस, एनएसएस समेत कई एजेंसियां साथ में काम करेंगी।
नॉन-हॉटस्पॉट जोन वाले जिलों में बुखार, सर्दी-खांसी के शिकार लोगों का टेस्ट किए जाएगा। इन जिलों को कोविड-19 के लिए एक अलग से अस्पताल बनाने का निर्देश जारी किया गया है। साथ ही कोरोना से निपटने के लिए सभी जरूरी उपाय करने का भी निर्देश दिया गया है।
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तीसरा ग्रीन जोन होगा इसमें उन जिलों को रखा गया है, जहां पर कोई केस नहीं आया है। इन जिलों में प्रशासन की ओर से नजर रखी जाएगी। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने राज्य सरकारों से कहा कि जिस भी इलाके में 28 दिनों से कोई केस नहीं आया है, उन इलाकों के हॉस्पॉट को ग्रीन और ऑरेंज जोन में तब्दील किया जाए।
जानिए रेड और आरेंज जोन में क्या है अंतर
रेड और आरेंज जोन में अंतर समझाते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि रेड जोन में वे इलाके शामिल हैं, जहां कोरोना के हॉटस्पॉट हैं। जबकि आरेंज जोन में कोई भी हॉटस्पॉट एरिया नहीं है। रेड जोन को भी दो भागों में बांटा गया है। रेड जोन में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां कोरोना का आउटब्रेक हुआ है। ऐसे जिलों की संख्या 123 है। इसके अलावा कुछ रेड जोन वाले जिले में कोरोना के बहुत सारे मरीज सामने आए हैं। वहां कलस्टर बन गए हैं। ऐसे जिलों की संख्या 47 हैं।
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रेड जोन में शामिल हैं ये जिले
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बिहार का सीवान, दिल्ली के दक्षिणी, दक्षिणी पूर्वी, शाहदरा, पश्चिमी उत्तरी और मध्य दिल्ली, उत्तरप्रदेश के आगरा, नोएडा, मेरठ, लखनऊ गाजियाबाद, शामली, फिरोजाबाद, मोरादाबाद और सहारनपुर रेड जोन में कोरोना आउटब्रेक वाले जिलों में शामिल है। जबकि बिहार का मुंगेर, बेगुसराय और गया, दिल्ली का उत्तरी-पश्चिमी, उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर और उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर, सीतापुर, बस्ती और बागपत रेड जोन के कलस्टर वाले जिलों में है।
देश के ये जिले ऑरेंज जोन में शामिल
ऐसे ही बिहार के गोपालगंज, नवादा, भागलपुर,सारन, लखीसराय, नालंदा और पटना, दिल्ली का उत्तरी-पूर्वी और उत्तरप्रदेश के कानपुर नगर, वाराणसी, अमरोहा, हापुड़, महाराजगंज, प्रतापगढ़ और रामपुर जैसे जिले ऑरेंज जोन में शामिल किए गए हैं, जहां न तो कोरोना का कलस्टर और न ही आउटब्रेक हुआ है। यहां कुछ केस पाए गए थे।
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लव अग्रवाल के मुताबिक राज्यों को पत्र लिखकर अपने-अपने यहां रेड, आरेंज और ग्रीन जोन की स्पष्ट पहचान करने को कहा गया है। राज्य चाहे तो भविष्य में कोरोना के केस आने की आशंका को देखते हुए किसी इलाके को आरेंज जोन में शामिल कर सकता है।