चीन की हर साजिश जानता है भारत, ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रख रही सेना

भारत-चीन के बीच विवाद अभी पूरी तरह थमा नहीं है। आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC)  के दौरे पर है। 2 दिन के दौरे पर राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं। साथ में चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे हैं।

Update:2020-07-17 10:43 IST

नई दिल्‍ली भारत-चीन के बीच विवाद अभी पूरी तरह थमा नहीं है। लेकिन भारत और चीन के बीच मई से चल रहा सीमा विवाद धीरे-धीरे सुलझता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन भारत की सेना चीन की किसी भी हरकत से बचने के लिए सावधानी बरत रही है। भारत चीनी सैनिकों द्वारा पूर्वी लद्दाख में सीमा से पीछे हटने की प्रक्रिया पर 10 दिनों तक नजर रखेगा और इसकी सावधानी से जांच करेगा। इसके बाद ही अगली कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता में तनाव कम करने के अगले चरण पर चर्चा की जाएगी। आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के दौरे पर है। 2 दिन के दौरे पर राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं। साथ में चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे हैं।

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चीन पर भरोसा नहीं

चीन के साथ विवाद के बीच रक्षा मंत्री का लद्दाख में होना बेहद अहम बात है। राजनाथ सिंह दोनों दिनों में उन विवादित क्षेत्रों में रहकर खुद सेना से हर अपडेट लेंगे। जब इस वक्‍त में सीमा से चीनी सेना पीछे हट रही है, लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कई स्‍टैंडऑफ पॉइंट्स से चीनी सैनिक पीछे हटे हैं, लेकिन पुराने अनुभवों को देखते हुए उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता। सीमा तनाव के बीच इस वक्त सेना भी सतर्क है।

 

कोर कमांडर लेवल मीटिंग

दोनों देशों के कोर कमांडर लेवल मीटिंग तभी होगी जब चीनी सेना पीछे हट जाएगी। अब अगले 10 दिन तक सेना सीमा और चीन की हरकतों का निगरानी करेगी कि चीन हटा है या नहीं। 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिणी जिनझियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्‍ट चीफ मेजर जनरल लिउ लिन के बीच पांचवें राउंड की बात होगी।

चीन पर भरोसा करना सही नहीं

पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने के बाद ही 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच पांचवें दौर की बैठक होगी। पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया इस महीने की शुरुआत से ही जारी है। पैंगोंग त्‍सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्‍स से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया जारी है। 14 जुलाई की बातचीत में पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इन जगहों से पीछे हटने पर रजामंदी जताई थी, लेकिन अभी पूर्ण सहमती नही है। 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीन पर भरोसा करना सही नहीं होगा।

 

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'लगातार वेरिफिकेशन' पर जोर

गुरुवार को सेना ने बयान जारी कर 'लगातार वेरिफिकेशन' पर जोर दिया गया। हालांकि बयान में 'डी-एस्‍केलेशन' का जिक्र नहीं था यानी फिलहाल एलएसी पर 'रियर एरियाज' में मौजूद सैनिक, टैंक, आर्टिलरी और भारी हथियार हटाने की योजना नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि डिसएंगेजमेंट प्रोसेस फेस-ऑफ या क्‍लोज-अप वाली जगहों पर हो रहा है। मंत्रालय ने साफ किया है कि भारत के दावे में कोई बदलाव नहीं है और एलएसी में एकतरफा बदलाव को बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा।

चीनी सेना के चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए विभिन्न चरणों में निरंतर सत्यापन की जरूरत होती है। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे को लेकर विश्वास की कमी है, इसलिए दोनों ही पक्ष सत्यापन पर जोर दे रहे हैं।

 

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