किसानों के विरोध से डरे CM खट्टर, गणतंत्र दिवस पर बदला कार्यक्रम स्थल

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गणतंत्र दिवस के मौके पर पानीपत में एक कार्यक्रम के दौरान ध्वजारोहण (Flag Hoisting) करने वाले थे, लेकिन किसानों ने यहां पर अपने विरोध करने का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद खट्टर से कार्यक्रम स्थल में बदलाव कर दिया गया है।

Update: 2021-01-25 10:19 GMT
किसानों के विरोध के चलते बदल गया सीएम खट्टर का कार्यक्रम स्थल!

चंडीगढ़: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) के मौके पर किसान ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालने जा रहे हैं। वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए अब हरियाणा सरकार ने अपने कार्यक्रमों में बदलाव कर दिया है। बता दें कि प्रदर्शन के चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) और अन्य कुछ मंत्रियों के कार्यक्रम स्थल को बदल दिया गया है।

बदल गया सीएम खट्टर का कार्यक्रम स्थल

दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गणतंत्र दिवस के मौके पर पानीपत में एक कार्यक्रम के दौरान ध्वजारोहण (Flag Hoisting) करने वाले थे, लेकिन किसानों ने यहां पर अपने विरोध करने का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद खट्टर से कार्यक्रम स्थल में बदलाव कर दिया गया है। अब CM खट्टर पानीपत की बजाय पंचकूला के एक कार्यक्रम में ध्वजारोहण करेंगे। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) अंबाला में अब ध्वजारोहण करेंगे।

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(फोटो- ट्विटर)

किसानों ने किया है ये ऐलान

आपको बता दें कि कई जिलों के किसानों ने ऐलान किया है कि किसी भी मंत्री या नेता को ध्वजारोहण नहीं करने देंगे। साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी करना चाहें तो झंडा फहरा सकते हैं। बताते चलें कि इससे पहले भी किसान आंदोलन के चलते मुख्यमंत्री खट्टर के कार्यक्रम में बाधा पड़ चुकी है। दरअसल, किसानों द्वारा आह्वाहन किए गए भारत बंद के दौरान मुख्यमंत्री का करनाल में एक कार्यक्रम तय था, लेकिन इससे पहले ही किसानों ने कार्यक्रम में इस्तेमाल होने वाली कुर्सियां को फेंक दिया और टेंट भी उखाड़ दिए थे।

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दुष्यंत चौटाला को भी होना पड़ा गुस्से का शिकार

इसके अलावा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को भी किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। दरअसल, एक कार्यक्रम स्थल के पास किसानों ने हेलिपेड को ही उखाड़ दिया था। गौरतलब है कि पंजाब के बाद हरियाणा ही वो राज्य हैं, जहां पर किसानों का आंदोलन सबसे ज्यादा आक्रामक होता दिखा है।

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