जानलेवा स्तर पर प्रदूषण, 500 पार पहुंचा AQI, स्कूल बंद, बढ़ सकता है ऑड-ईवन

कल पूरे दिनभर धुंध की चादर छायी रही और ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार चला गया है। दिल्ली में प्रदूषण के इस स्तर को देखते हुए दो दिनों तक स्कूलों को बंद रखने की घोषणा की गई है।

Update: 2019-11-14 05:59 GMT
जानलेवा स्तर पर प्रदूषण, 500 पार पहुंचा AQI, स्कूल बंद, बढ़ सकता है ऑड-ईवन

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर से जहरीली हवा के चपेटे में आ गया है। दिल्ली-एनसीआर में हवा इतनी जहरीली हो गई है कि, ये गंभीर या आपातकाल की स्थिति में पहुंच गया है। कल पूरे दिनभर धुंध की चादर छायी रही और ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार चला गया है। दिल्ली में प्रदूषण के इस स्तर को देखते हुए दो दिनों तक स्कूलों को बंद रखने की घोषणा की गई है।

इन इलाकों में इतना रहा AQI

साथ ही प्रदूषण फैलने के बाद स्टोन क्रशर और हॉट मिक्स प्लांट पर भी रोक लगा दी गई है। बता दें कि कल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 469 और 459 पर था। वहीं फरीदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 436, गुरुग्राम में 450 और गाजियाबाद में 468 दर्ज किया गया। दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्रान प्रति घन मीटर रहा। जबकि पीएम 10 का स्तर बढ़कर 506 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया। आज भी स्थिति कुछ ऐसी ही दर्ज की गई है।

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पीएम-2.5 मतलब प्रदूषण तत्वों के वो सबसे छोटे कण जो 2.5 माइक्रोन व्यास से भी छोटे होते हैं, और ये आसानी से आपके फेफड़े और खून में मिल सकते हैं।

एयर क्वालिटी इंडेक्स

वहीं AQI की बात करें तो 201 से 300 का मतलब खराब, 300 से 400 का मतलब बेहद खराब, 401-500 का मतलब गंभीर और 500 से ऊपर हो तो ये यानी गंभीरतम या आपातकालीन स्थिति में दर्ज होता है।

इन वजहों से बढ़ रहा प्रदूषण

मौसम विभाग के अनुसार, पडोंसी राज्यों में पराली जलाने, तापमान में आई कमी और हवा की धीमी गति के कारण ऐसा हुआ है। दिल्ली-एनसीआर की हवा आपातकालीन स्थिति में आ गई है। जिससे दिल्ली वासियों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य सरकार पराली जलाने से रोकने में असमर्थ रही।

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पराली को नहीं रोक पाई सरकार

पंजाब में एक अक्टूबर से 12 नवंबर तक पराली जलाने के 46 हजार 211 माले सामने आ चुके हैं। वहीं हरियाणा में 5 हजार 807 मामले सामने आए हैं। वायु प्रदुषण की जांच करने वाली संस्था SAFAR ने 22 प्रतिशत पराली जलाने को प्रदूषण की वजह माना है। आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा की खट्टर सरकार और पंजाब की कैप्टन अमरिंदर की सरकार हर साल की तरह इस बार भी किसानों को रोकने में सफलता हासिल नहीं कर पाई।

दिल्ली में प्रदूषण की वजह केवल पराली जलाना ही नहीं है। बल्कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों से होता है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण 2010 का जो 25 फीसदी आंकड़ा था, वो पिछले साल 2018 में बढ़कर 41 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं उद्योगों से 18 फीसदी, 21 फीसदी धूल से प्रदषूण होता है। जबकि दूसरे कारणों से 11 फीसदी प्रदूषण होता है, इसमें पराली भी शामिल है।

ऑड-ईवन के समय को बढ़ा सकती है सरकार

दिल्ली में बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 4 नवंबर से ऑड-ईवन नियम लागू किया था, जो कि 15 नवंबर को खत्म होने वाली है। लेकिन प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए सरकार ये समय बढ़ा सकती है। कल सीएम केजरीवाल ने कहा कि, प्रदूषण की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है, जरुरत पड़ने पर ऑड-ईवन योजना को बढ़ाया जा सकता है।

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