Revolver-Pistol: पिस्टल, रिवॉल्वर, माउजर और कट्टे में आखिर क्या होता है बुनियादी फर्क, जाने खूबियां और अंतर
Mouser Revolver and Pistol Difference : पिस्तल, रिवॉल्वर, मौजर, और कट्टे - ये सभी हथियार फायरिंग मेकेनिज़्म के आधार पर काम करते हैं, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं।
Mouser Revolver and Pistol Difference :आपने आज तक हजारों बार पिस्टल, रिवॉल्वर, माउजर और कट्टे जैसे हथियारों का नाम सुना होगा, शायद करीब से देखा भी होगा। लेकिन ट्रिगर दबा कर निशाने पर सटीक वार करने वाले इन चारों हथियारों के बीच आखिर क्या बुनियादी फर्क होता है। क्या आपको इस बारे में सटीक जानकारी है। हो सकता है की आपको मालूम हो, लेकिन हम में से ऐसे बहुत से लोग हैं जो इन हथियारों का सिर्फ नाम भर जानते हैं, लेकिन इनकी गहरी समझ नहीं रखते। तो आइए इस खबर के माध्यम से आपको पिस्टल, रिवॉल्वर, माउज़र और कट्टे में क्या अंतर होता है, इस विषय पर विस्तार से एक - एक कर के बताते हैं।
पिस्टल
यहां पर पिस्टल से जुड़ी जानकारियों के बारे में आपको बताने जा रहें हैं, छोटे हथियारों के चार साल पुराने सर्वे के मुताबिक दुनिया में 85.7 करोड़ से ज्यादा हैंडगन्स यानी पिस्टल, रिवॉल्वर, माउज़र लोगों के पास मौजूद है। पिस्टल की वैसे तो आकार प्रकार की बात करें तो इसके विविध रूप देखने को मिल सकते हैं। लेकिन मूल रूप से यह दो तरह की होती हैं। एक फुली ऑटोमैटिक और दूसरी सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल। दोनो ही तरह की पिस्टल में गोलियां मैगजीन के जरिए भरी जाती हैं। मैगजीन के ऊपर हैमर और स्प्रिंग होता है जो हर फायर के बाद मैगजीन से दूसरी गोली को ऊपर पहुंचा देता है। मैगजीन की सुविधा से गोलियों को पिस्टल में लोड करने में समय नहीं व्यर्थ जाता।पिस्टल की ग्रिप के अंदर गोलियों का एक चैंबर स्थित होता है।
इस चेंबर में ज्यादा से ज्यादा 20 गोलियां भरने की क्षमता होती है।इनका अधिकतम 10 इंच बैरल छोटा होता है। यह पिस्टल एक हैंडगन है। इसकी रेंज 50 से 100 मीटर तक होती है। इसका उपयोग सेनाएं, अर्धसैनिक बल, पुलिस, आतंकी, विद्रोही गुट, नक्सली और अपराधी करते हैं। हाथ में रखी जाने वाली ये छोटी बंदूक मशीन गन आदि की तरह बड़ी नहीं होता। दोनों में गोलियां लगाने और फायर करने और ऑटोमैटिक होने आदि का फर्क होता है। पिस्टल तीन तरह की होती है, जिसमें ऑटोमैटिक, सिंगल शॉट, मल्टी चेंबर शामिल है।इनमें से सिंगल शॉट पिस्टल चलन से बाहर हो चुकी हैं। दूसरा ऑटोमैटिक और तीसरा मशीन पिस्टल। बात मशीन पिस्टल की करें तो इसकी मैगजीन बहुत बड़ी होती है। यह पिस्टल लगभग छोटी मशीनगन जैसी दिखती है। दूसरी होती है मल्टी-बैरल पिस्टल, यानी नलियों वाली पिस्टल। इसका उपयोग भी बंद हो चुका है।
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रिवॉल्वर
रिवॉल्वर लंबी नली यानी बैरल वाली हैंडगन होती है।
आपने कभी ध्यान दिया हो तो रिवॉल्वर, पिस्टल और ज्यादातर असॉल्ट राइफल्स की बैरल्स में अंदर घुमावदार धारियां बनी होती हैं। ये धारियां आग के दबाव से गोलियों को जोर से एक दिशा में घुमाना शुरु कर देती हैं। ज्यादा लंबी बैरल यानी गोली का ज्यादा घुमाव, ज्यादा गति और ज्यादा रेंज। इसलिए आप देखेंगे कि रिवॉल्वर-पिस्टल की रेंज अमूमन 50 से 100 मीटर होती है। जिसमें छह ही गोलियां आती है। ये गोलियां गोलाकर चैंबर यानी चकरी में भरी जाती हैं। चैंबर रोटेट होकर अपनी गोलियों को सीधे बैरल यानी रिवॉल्वर की नली के सामने लाने का काम करती हैं।एक प्रक्रिया के बाद इससे गोली के अंदर मौजूद बारूद में आग लगती है।
माउज़र
माउजर की बात करें तो यह एक जर्मन हैंडगन कंपनी है। यह बोल्ट एक्शन राइफल तथा सेमी-ओटोमैटिक हैंडगन्स का निर्माण करती है। बीच में यह कुछ समय के लिए बंद हो गई थी। 1940 में आई माउजर HSc सेल्फ लोडिंग हैंडगन ने काफी लोकप्रियता बटोरी थी।इसने सिर्फ हैंडगन या राइफल्स ही नहीं बनाए, बल्कि तोपों का भी निर्माण करती है। स्नाइपर राइफल्स भी बनाएं हैं। माउजर के हथियार काफी उच्च गुणवत्ता के होते हैं। यह काफी लंबे समय से आर्म्स के निर्माण का कार्य कर रही है। यह सन 1870 से दुनियां की लोकप्रिय हैंडगन्स और राइफल्स का निर्माण करती आ रही है। इस कंपनी की 1896 में आई 9 मिमी की C96 लूगर हैंडगन ग्लोबल मार्केट में काफी पसंद की गई थी।
कट्टा
भारत के कई राज्यों में इसे कट्टा, तमंचा आदि के नाम से जाना जाता है। यह भी एक देसी हैंडगन है। लेकिन इसकी विश्वसनीयता नहीं होती। इसकी नली फट भी जाती है. लोगों को घायल कर देती है। यह देसी हैंड गन यानी कट्टा वास्तविकता में एक अवैध हथियार है। कानूनी तौर पर अवैध तरीके से लुक छुप कर तैयार किए जानें वालें इन हथियारों का बड़े पैमानें पर अवैध कारोबार होता है। ये सिंगल शॉट गन की तरह काम करती है। इसमें एक बार में एक ही गोली भरी और चलाई जा सकती है। कट्टे के बैरल यानी नली के अनुसार ही गोलियां भी निर्धारित होती हैं। इस गन से दूर का निशाना टारगेट करना संभव नहीं होता। इसकी रेंज काफी कम यानी बेहद नजदीक की होती है। टारगेट पर हिट करने के लिए काफी पास जाकर यानी सटाकर निशाना लगाना पड़ता है। आप देखेंगे कि रिवॉल्वर-पिस्टल की रेंज अमूमन 50 से 100 मीटर होती है। असॉल्ट राइफल्स की 100 से 400 मीटर तक और स्नाइपर राइफल की 2-3 किलोमीटर तक। इन सबमें पिस्टल सबसे घातक और भरोसेमंद मानी जाती है।