TMC और Congress के बीच तल्खी बढ़ी, ममता ने दिखाए तेवर, विपक्षी एकजुटता में दरार के संकेत

TMC and Congress: संसद में राहुल गांधी और अडानी के मुद्दे पर जारी संग्राम के बीच टीएमसी और कांग्रेस के बीच बढ़ती दूरियां भी उजागर हो गई हैं। टीएमसी ने बुधवार को अडानी समूह से जुड़े मामलों की जांच की मांग को लेकर निकाले गए विपक्षी दलों के मार्च से दूरी बना ली थी।

Update:2023-03-16 14:49 IST
TMC and Congress (Photo: Social Media)

TMC and Congress: संसद में राहुल गांधी और अडानी के मुद्दे पर जारी संग्राम के बीच टीएमसी और कांग्रेस के बीच बढ़ती दूरियां भी उजागर हो गई हैं। टीएमसी ने बुधवार को अडानी समूह से जुड़े मामलों की जांच की मांग को लेकर निकाले गए विपक्षी दलों के मार्च से दूरी बना ली थी। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी की ओर से उठाए गए इस कदम के पीछे कांग्रेस से नाराजगी को बड़ा कारण माना जा रहा है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की ओर से टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणियों को लेकर टीएमसी के नेता नाराज हैं। इसी कारण टीएमसी ने विपक्ष की ओर से प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एस के मिश्रा को लिखे गए पत्र पर भी हस्ताक्षर नहीं किया। इस पत्र में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कराने की मांग की गई है। बाद में विपक्षी दलों के मार्च से भी टीएमसी के कन्नी काट लेने के कदम से विपक्षी एकजुटता में दरार बिल्कुल साफ तौर पर नजर आने लगी है।

पश्चिम बंगाल में उपचुनाव के बाद बढ़ी खींचतान
दरअसल टीएमसी के नेता इन दिनों कांग्रेस से खासे नाराज बताए जा रहे हैं। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस और टीएमसी के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगे थे। इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का खाता खुला था और कांग्रेस नेताओं की ओर से इस जीत को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे। इस उपचुनाव के बाद टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने भाजपा के साथ ही वामदलों और कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला था और अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया था। उनका कहना था कि टीएमसी अपने दम पर अकेले ताकत दिखाएगी।

अपने एजेंडे पर आगे बढ़ने का टीएमसी का ऐलान
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुदीप बंदोपाध्याय का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस भाजपा और सीपीएम के साथ मिली हुई है। इसलिए टीएमसी कांग्रेस नेताओं की ओर से बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगी। टीएमसी संसद में अपने एजेंडे पर काम करेगी और अपने मुद्दों और एजेंडे के हिसाब से विरोध दर्ज कराएगी। रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ और टीएमसी ने अन्य विपक्षी दलों से इतर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन भी किया था।

टीएमसी और कांग्रेस के बीच मौजूदा खींचतान का जिक्र करते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि एक ओर तो कांग्रेस नेता की ओर से मोदी, ममता और अडानी के संबंधों का आरोप लगाया जा रहा है तो दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के साथ खड़े होने की उम्मीद भी की जा रही है। यह आरोप लोकसभा में कांग्रेस के नेता की ओर से लगाया गया है। ऐसी स्थिति में हम कांग्रेस के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं। कांग्रेस टीएमसी को कभी हल्के में नहीं ले सकती। हालांकि उन्होंने अधीर रंजन चौधरी का नाम नहीं लिया मगर उनका इशारा बिल्कुल साफ था।

दूसरे दलों के संपर्क में टीएमसी
ममता के एक करीबी टीएमसी नेता का कहना है कि हमें इस बात की पूरी जानकारी है कि विपक्ष की दो प्रमुख पार्टियों के बीच तल्खी के कारण विपक्ष की एकजुटता पर असर पड़ रहा है और नकारात्मक स्थिति बन रही है। वैसे कांग्रेस का रवैया ऐसा है कि हम उसका साथ नहीं दे सकते। टीएमसी ने कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दलों से संपर्क साध रखा है। पार्टी ने समान विचारधारा वाले दूसरे दलों को विश्वास में ले रखा है और हम उसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।

विपक्ष की एकजुटता में दरार
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले टीएमसी और कांग्रेस के बीच बढ़ती तल्खी विपक्ष की एकजुटता के लिए बड़ा खतरा मानी जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही पश्चिम बंगाल में अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। वे भाजपा के साथ ही कांग्रेस और सीपीएम पर भी हमलावर हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि विपक्षी दलों के बीच चल रही यह खींचतान भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।

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