अजब-गजब: एक ऐसी दरगाह, जहां ज़ायरीन को डंक नहीं मारते हैं बिच्छू

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक ऐसी दरगाह है जहां बिच्छू जायरीन को डंक नहीं मारते हैं। ज़ायरीन ‘सूफी की इजाजत’ से बिच्छू को निश्चित वक्त के अपने घर ले जा सकते हैं लेकिन समयसीमा खत्म होने से पहले उन्हें बिच्छू दरगाह को लौटाना होता है।

Update:2019-04-28 16:46 IST

अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक ऐसी दरगाह है जहां बिच्छू जायरीन को डंक नहीं मारते हैं। ज़ायरीन ‘सूफी की इजाजत’ से बिच्छू को निश्चित वक्त के अपने घर ले जा सकते हैं लेकिन समयसीमा खत्म होने से पहले उन्हें बिच्छू दरगाह को लौटाना होता है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के अमारोहा में सैयद शरफुद्दीन शाह विलायत की दरगाह है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि दरगाह परिसर में मौजूद ज़हरीले बिच्छू किसी को डंक नहीं मारते हैं।

इस बारे में प्रचलित कहानी दरगाह के खादिम अनीस अहमद ने बताई। उन्होंने बताया कि शाह वियालत 1272 ईं. में इराक से यहां आए थे। गांव में शाह नसरूद्दीन नाम के एक अन्य सूफी भी थे। शाह नसरूद्दीन ने शाह विलायत से कहा कि इलाके में बहुत सारे बिच्छू और सांप हैं जो उन्हें यहां रहने नहीं देंगे।

ये भी पढ़ें...अजब-गजब: यहां ज़िंदा मिसाइलों पर घर बनाते हैं लोग, वजह कर देगी हैरान

खादिम ने बताया, ‘‘ इस पर शाह विलायत ने जवाब दिया कि मेरे स्थान पर वे किसी को नहीं डंक नहीं मारेंगे। तब से वे किसी को डंक नहीं मारते हैं। यह एक चमत्कार है। आप बाहर से भी जहरीला बिच्छू ले आईए लेकिन यहां आते ही वह किसी को डंक नहीं मारेगा।’’

उन्होंने दावा किया कि आप दुनिया के किसी भी हिस्से से कितना भी जहरीला बिच्छू यहां ले आईए वो दरगाह परिसर में आते ही किसी को नहीं काटेगा। इसके अलावा, आप बिच्छू को अपने हाथ पर भी ले सकते हैं और ‘सूफी की इजाजत’ से उन्हें घर भी ले जा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि आपको यह बताना होगा कि आप बिच्छू को कब वापस लाएंगे। उस समयसीमा तक, बिच्छू आपको नहीं काटेगा, लेकिन समयसीमा निकल जाती है, यहां तक कि एक मिनट भी ऊपर होता जाता है, तो यह खतरनाक जीव डंक मारेगा।’’

ये भी पढ़ें...शरीयत के खिलाफ है शादी में ‘महिला वेटर’ रखना, दरगाह से फ़तवा जारी

पेशे से वकील मोहम्मद अरशद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ मेरे खानदान की पीढ़ियां यहां ज़ियारत करती हैं। लोग बिच्छू घर ले जाते हैं और मीयाद खत्म होने से पहले उन्हें वापस लौटा देते हैं। हम सूफी की इजाजत से उन्हें ले जाते हैं और मीयाद खत्म होने से पहले वापस छोड़ जाते हैं।’’

अब्दुल कय्यूम ने बताया कि वह 30 साल से दरगाह में रह रहे हैं। किसी भी बिच्छू ने परिसर में किसी को डंक नहीं मारा है और न कभी ऐसा हुआ है कि कोई बिच्छू को घर ले जाया गया हो तो वहां उसने डंक मारा हो।

इसके अलावा, यहां से कुछ किलोमीटर दूर ही शाह नसरूद्दीन की दरगाह है। इस दरगाह पर लापता गधे और घोड़े अपने आप पहुंच जाते हैं। गधे या घोड़ों के मालिकों को उनकी तलाश में दरगाह आना पड़ता है।

शाह नसरूद्दीन दरगाह की देखरेख करने वाले हसन मोहम्मद आबिदी ने बताया, ‘‘ मैं यहां बीते छह-सात साल से हूं। मैंने खुद देखा है कि लोगों को अपने गधे और घोड़े यहां मिलते हैं। जब घोड़े और गधे दरगाह परिसर में होते हैं तो वे मलत्याग नहीं करते हैं।’’

ये भी पढ़ें...गजब! इस दरगाह में हजारों सांप-बिच्छू का निवास, फिर भी आने वाले को नहीं पहुंचाते नुकसान

Tags:    

Similar News