क्या पू्र्व विदेश मंत्री 'सुषमा स्वराज' का राजनीतिक करियर खत्म हुआ ?
सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति का एक जाना पहचाना नाम, देश की राजनीति में अपनी वाकपटुता और कार्य कौशल से अलग पहचान बनाने वाले चंद नेताओं में इनको शुमार किया जाता है।
नई दिल्ली: सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति का एक जाना पहचाना नाम, देश की राजनीति में अपनी वाकपटुता और कार्य कौशल से अलग पहचान बनाने वाले चंद नेताओं में इनको शुमार किया जाता है। सबसे कम उम्र की अध्यक्ष, सबसे कम उम्र की मंत्री का रिकॉर्ड लंबे समय तक अपने नाम रखने वाली सुषमा स्वराज मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुईं।
इसके बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अब सुषमा स्वराज कि क्या भूमिका होगी, कहीं ऐसा तो नहीं कि 40 वर्ष से अधिक लंबे सफर के बाद राजनीति से संन्यास?
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प्रखर वक्ता सुषमा अटल-आडवाणी के दौर की नेता हैं, जिनकी सांगठनिक क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज 27 वर्ष की छोटी उम्र में ही सन 1979 में उन्हें जनता पार्टी ने हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। सुषमा ने दिसंबर में ही 2019 का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया था।
अब जबकि उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है तो अब उनकी भूमिका को लेकर सवाल है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पहले ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ीं। अब मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं हुई। कुछ नेताओं को जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया उनके बारे में कहा जा रहा कि वह संगठन में अहम भूमिका अदा करेंगे।
सुषमा स्वराज के संगठन में जाने की गुंजाइश न के बराबर है क्योंकि वह पहले ही स्वास्थय कारणों का हवाला देकर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ी। उनकी दूसरी भूमिका लोकसभा अध्यक्ष की हो सकती थी लेकिन अब वैसा भी नहीं हो सकता। क्योंकि इस बार वह लोकसभा चुनाव लड़ी ही नहीं। अब ऐसे में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
सुषमा स्वराज उन नेताओं में शामिल हैं, जिनके सामने मोदी का उदय हुआ। मोदी सरकार में मुस्लिम देशों के साथ प्रगाढ़ संबंध के लिए भी सुषमा को श्रेय दिया जाता है। इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री सुषमा का कार्यकाल दुनिया भर में भारतीयों की मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहने वाली नेता के तौर पर है।
इन सबसे इतर सुषमा की मोदी से नाराजगी की चर्चा भी सियासी गलियारों में होती रही है। ट्विटर पर जहां भाजपा नेताओं के लिए पीएम मोदी को फॉलो करना अनिवार्य सा है, सुषमा स्वराज उन्हें भी फॉलो नहीं करतीं। उनके चुनाव ना लड़ने की घोषणा के पीछे भी राजनीति के जानकार वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी को वजह बताते हैं।
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लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बालाकोट एयर स्ट्राइक पर अपने बयान से भी मोदी सरकार को असहज किया था। स्वराज ने कार्यकर्ताओं के बीच कहा था कि एयर स्ट्राइक के दौरान सरकार ने वायुसेना को यह निर्देश दिया था कि पूरी कार्रवाई के दौरान पाकिस्तानी आर्मी को खरोंच नहीं आनी चाहिए और ना ही किसी पाकिस्तानी नागरिक की मौत होनी चाहिए। अहमदाबाद में सुषमा ने कहा था कि 26 फरवरी को हुई एयर स्ट्राइक में किसी पाकिस्तानी नागरिक और सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचा था।