गधों का कत्ले-आमः इस राज्य में आई शामत, हो रही भारी कमी

गधों का वध गैरकानूनी है क्योंकि गधों को ‘खाद्य जानवर’ के रूप में पजीकृत नहीं किया गया है। वधशाला नियमावली 2001 के अंतर्गत गधों का स्लॉटर प्रतिबंधित है।

Update:2021-02-24 09:55 IST

नीलमणि लाल

गुंटूर। आंध्र प्रदेश में गधों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। अब यदाकदा ही कहीं ये मासूम जानवर दिखाई देते हैं। इस असामान्य स्थिति का कारण बहुत हैरान करने वाला है। पता चला है कि गधों को उनके मीट के लिए बड़े पैमाने पर वध किया जाने लगा है। प्रदेश के कुछ जिलों में गधे का मांस लोकप्रिय हो गया है। ऐसे में कृष्णा, वेस्ट गोदावरी, गुंटूर और प्रकासम जिलों में गधों को बड़ी तेजी से मारा जा रहा है।

गधों का वध गैरकानूनी है क्योंकि गधों को ‘खाद्य जानवर’ के रूप में पजीकृत नहीं किया गया है। वधशाला नियमावली 2001 के अंतर्गत गधों का स्लॉटर प्रतिबंधित है। किसी पशु का अवैध वध आईपीसी की धारा 428 और 429 के तहत अपराध है और इसके अलावा पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम की धारा 11 (1) के तहत सजा दी जा सकती है।

गिरोह कर रहे कत्ले-आम

आन्ध्र में गधों के वध के पीछे अवैध गिरोह शामिल हैं। इन गिरोहों का नेटवर्क पड़ोसी राज्यों से इन जानवरों को लाता है फिर इनका वध करके मीट बेचा जाता है। गधों का मांस पसंद करने वालों का तर्क है कि इसके सेवन से ताकत और पौरुष शक्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी होती है। हालाँकि इसका कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है। यही कारण है कि जिलों में तेजी से तेजी से गधों का कत्ल किया जा रहा है। लोग अवैध रूस से गधों का कत्ल कर काफी महंगे दामों में उनकी बिक्री भी कर रहे हैं। एक पूर्णतया विकसित गधे की कीमत 10 से 15 हजार रुपये लगाई जा रही है।

देश में 60 फीसदी घटी है संख्या

आन्ध्र में गधों की संख्या अब कम होती जा रही है और अब गिरोह उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ से इन पशुओं की तस्करी कर रहे हैं। आंध्र में गधों की संख्या मात्र 5 हजार बताई जाती है। यही नहीं, देश में 2012 से गधों की संख्या करीब 60 फीसदी कम हो चुकी है और अब पूरे देश में सवा लाख गधे ही बचे हैं। 2012 में आंध्र प्रदेश में 10,000 से अधिक गधे मौजूद थे, लेकिन साल 2019 में इनकी संख्या गिरकर 5,000 से नीचे आ गई।

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जिंदा गधों की है अधिक कीमत

बोझा ढोने में बेहद कारगर होने के कारण वर्तमान में देश में एक जिंदा गधे की कीमत 10,000 से 15,000 रुपये की बीच है। ऐसे में सरकार को गधों का कत्ल करने वालों पर कार्रवाई करने के साथ गधों की सुरक्षा के लिए अगल स्थान निर्धारित करना चाहिए। इससे गधों का कत्ल रूकेगा और लोग इसका सदुपयोग कर सकेंगे।

आंध्र पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक जी नेहरू बाबू ने कहा है कि गधों का कत्ल अवैध है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गलतफहमी के कारण लोग गधे का मांस खाते हैं। गुंटूर पुलिस अधीक्षक आरएन अम्मी रेड्डी ने भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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