दुग्ध क्रांति के जनक क्यों नहीं पीते थे दूध, जानें इनके बारे में सब कुछ

देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीता था। वह कहते थे, ‘‘मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता।’’

Update:2018-11-26 12:12 IST

लखनऊ: भारत को दूध की कमी से जूझने वाले देश से दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डॉ वर्गीज कुरियन के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। newstrack.com आज आपको उनके जयंती पर उनसे जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहा है जो कि उनको श्वेतक्रांति के जनक के रूप में दर्शाती है।

(1.) ये भारत की एक प्रसिद्ध दुग्ध उत्पादक कंपनी अमूल के फाउंडर के तौर पर जाना जाता है। इनको 'फादर ऑफ द वाइट रेवोलुशन' के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही वो'बिलियन लीटर आईडिया' (ऑपरेशन फ्लड) के लिए भी जाने जाते हैं।

(2.) डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवम्बर 1921 में एक सीरियाई ईसाई परिवार में कालीकट, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत जोकि अब कोझीकोड, केरल है, में हुआ था। उनके पिता कोचीन, केरल में एक सिविल सर्जन थे।

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(3.) उनका पेशेवर जीवन सहकारिता के माध्यम से भारतीय किसानों को सशक्त बनाने पर समर्पित था। उन्होंने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गई थी।

(4.) बाद में पटेल ने कुरियन को एक डेयरी प्रसंस्करण उद्योग बनाने में मदद करने के लिए जहां से ‘अमूल’ का जन्म हुआ। भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का श्रेय भी कुरियन को जाता है। उन दिनों दुनिया में गाय के दूध से दुग्ध पाउडर बनाया जाता था।

(5.) अमूल की सफलता को देख कर ही उस समय के प्राधानमंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का निर्माण किया था। उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।

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(6.) कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक रोचक और दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीता था। वह कहते थे, ‘‘मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता।’’ भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रैमन मैग्सेसे पुरस्कार, कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार और अमेरिका के इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान से भी नवाजा गया।

(7.) केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर, 1921 को जन्मे कुरियन ने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

(8.) ऑपरेशन फ्लड या धवल क्रान्तिविश्व के सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रूप में जानी जाती है। साल 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा शुरु की गई इस योजना ने भारत को विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया। इसे ही 'श्वेत क्रन्ति' भी कहा गया।

(9.) साल 1949 में डॉ. वर्गीज कुरियन ने स्वेछा से अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (केडीसीएमपीयूएल) से जुड़ गए, जोकि अब अमूल के नाम से जाना जाता है।

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(10.) अमूल, जो संस्कृत शब्द 'अमूल्या' अक्षर से लिया गया है, साल 1946 में भारत में निर्मित एक कोआपरैटिव कंपनी है। यह एक ब्रांड है जो एक और शिष्टतम कोआपरैटिव संस्थान, गुजरात कोआपरैटिव मिल्क मार्केट फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) से जुड़ा है।

(11.) डॉ वर्गीज कुरियन ने खुद के जीवन के संघर्षों के ऊपर कुछ किताबें भी लिखीं. उन्होंने 'आइ टू हैड आ ड्रीम', 'द मैन हु मेड द एलीफेन्ट डांस' (ऑडियो बुक) और 'एन अनफिनिश्ड ड्रीम' किताबें लिखी थी।

(12.)डॉ. कुरियन की मृत्यु 9 सितंबर 2012 में बीमारी के कारण गुजरात में हुई।

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