भूकंपों से हिला देश: रिसर्च में सामने आई वजह, वैज्ञानिक भी हैरान

देश के पूर्वी हिस्से में कुछ समय से भूकंप के लगातार धीरे-धीरे झटके लग रहे हैं। इन भूकंप के झटकों ने लोगों और वैज्ञानिकों दोनों को डरा दिया है।

Update:2020-07-26 18:17 IST

नई दिल्ली। देश के पूर्वी हिस्से में कुछ समय से भूकंप के लगातार धीरे-धीरे झटके लग रहे हैं। इन भूकंप के झटकों ने लोगों और वैज्ञानिकों दोनों को डरा दिया है। झटकों की वजह से इन इलाकों में चट्टानों के लचीलेपन संबंधी गुणों की खोज एवं क्षेत्र में लगातार भूकंप आने पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में दो अलग-अलग गहराई पर स्थित केंद्रों से मध्यम स्तर के भूकंप आ रहे हैं।

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मध्यवर्ती गहराई में भूकंपीय गतिविधि नहीं

बता दें, कम तीव्रता वाले भूकंपों का केंद्र 1 से 15 किलोमीटर की गहराई में रहता है जबकि रिएक्टर स्केल पर चार से थोड़ी ज्यादा तीव्रता वाले भूंकप 25 से 35 किलोमीटर की गहराई से आ रहे हैं।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने अपने अध्ययन में कहा कि मध्यवर्ती गहराई में भूकंपीय गतिविधि नहीं होती है और यह द्रव/आंशिक द्रव वाले क्षेत्र में पड़ती है।

इस इलाके में क्रस्ट (धरती के सबसे बाहरी ठोस ढांचे) की मोटाई ब्रह्मपुत्र घाटी के नीचे 46.7 किलोमीटर से लेकर अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाल क्षेत्रों में 55 किलोमीटर तक है जहां क्रस्ट और पपड़ियों के बीच की सीमा को परिभाषित करने वाले संपर्क क्षेत्र में मामूली सा उठान है जिसे तकनीकी दृष्टि से ‘मोहो डिसकंटिन्यूटी’ कहा जाता है।

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अंडर-थ्रस्टिंग

भूकंप में ये ट्यूटिंग-टिडिंग सचर जोन में भारतीय भौगोलिक प्लेट (टेक्टोनिक प्लेट) की अंडर-थ्रस्टिंग (वह फॉल्ट जिसमें फॉल्ट प्लेन की निचली सतह की चट्टानें ऊपरी सतह पर स्थित चट्टानों के तहत चली जाती हैं) प्रक्रिया को दर्शाता है।

इस वैज्ञानिक अध्ययन में लोहित घाटी के ऊंचाई वाले हिस्सों में क्रस्ट की गहराइयों में द्रव या आंशिक द्रव (ठोस वस्तु का केवल एक हिस्सा पिघला हुआ) की मौजूदगी का भी संकेत देता है।

साथ ही एक बयान में ये भी कहा गया, 'भारत के सबसे पूर्वी हिस्सों में चट्टानों के लचीलेपन और भूकंपनीयता पर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया है कि क्षेत्र में दो अलग-अलग गहराइयों से मध्यम स्तर के भूकंप आ रहे हैं।' फिलहाल इस पर रिसर्च जारी है।

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