CM उद्धव ठाकरे और आदित्य जाएंगे जेल? बढ़ीं मुश्किलें, EC ने लिया ये फैसला

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री बेटे आदित्य और शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन तीनों नेताओं पर झूठा हलफनामा देने का आरोप है।

Update:2020-09-21 11:01 IST
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री बेटे आदित्य और शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री बेटे आदित्य और शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन तीनों नेताओं पर झूठा हलफनामा देने का आरोप है। अब इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से उद्धव ठाकरे, आदित्य और सुप्रिया सुले के खिलाफ झूठा हलफनामा देने के आरोप की जांच करने का आग्रह किया है।

मिली जानकारी के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने ये शिकायतें एक महीने पहले ही सीबीडीटी से की थीं और फिर उसकी दोबारा याद दिलाई है। आयोग ने चुनावी हलफनामे में संपत्तियों और देनदारियों की सत्यता की सीबीडीटी से जांच करने का आग्रह किया है।

अगर सीबीडीटी की जांच में यह पता चलता है कि उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और सुप्रिया सुले ने झूठा हलफनामा दिया है तो छह महीने की जेल भी हो सकती है। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत यह कार्रवाई हो सकती है।

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जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत अगर कोई व्यक्ति हलफनामे में झूठी जानकारी देने का दोषी पाया जाता है, तो उसे छह महीने की जेल, जुर्माना या दोनों ही सजा हो सकती है।

इस साल जून तक चुनाव आयोग झूठे हलफनामे के मामले पर शिकायतकर्ता को सीधे कोर्ट जाने को कहता था। हालांकि आयोग ने 16 जून को ऐलान किया था कि चुनावी हलफनामे में उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड, संपत्तियों, देनदारियों और शैक्षिक योग्यता के बारे में गलत या झूठी जानकारी देने की शिकायत का वह खुद संज्ञान लेगा। इसके साथ केस दर केस आधार पर सक्षम एजेंसियों को मामला सौंपेगा।

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एक मीडिया रिपोर्ट में चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के हवाले से कहा है कि अगर जांच में पाया जाता है कि उम्मीदवार ने झूठ बोला है, तब आयोग अपने फील्ड अधिकारी को उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से बिल्कुल नहीं हिचकेंगे।

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चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने अखबार से बातचीत में कहा था कि हम इसके अलावा उक्त राजीनितक दल और विधनसभा या सदन (जहां से भी वह चुना गया है, वहां के) के पीठासीन अधिकारी को भी इस बारे में सूचित करेंगे कि उस व्यक्ति ने हलफनामे में सही जानकारी नहीं दी है।

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