Elections in 2023: अगले साल दस राज्यों में होंगे विधान सभा चुनाव, 2024 से पहले होगा केंद्र की सत्ता का सेमी फाइनल

Elections in 2023: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में साल 2018 में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। तीनों राज्यों में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-12-12 13:33 IST

Assembly Elections in 2023 (Image: Newstrack)

Elections in 2023: साल 2023 भारतीय राजनीति के लिहाज से चुनावी साल होने जा रहा है। इस वर्ष देश के 10 छोटे – बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें अधिकतर जगहों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। इसलिए इन्हें महज विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि साल 2024 में होने वाले आम चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। इन राज्यों के चुनाव नतीजों का असर दोनों राष्ट्रीय दलों की लोकसभा चुनाव की तैयारयों पर पड़ना तय है।

2023 के चुनावी राज्य

अगले साल हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और एमपी में बीजेपी पॉवर में है। 2023 में दक्षिण के दो अहम राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ये राज्य हैं – कर्नाटक और तेलंगाना। कर्नाटक में जहां मुख्य लड़ाई सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। वहीं, तेलंगाना में असली लड़ाई सत्ताधारी टीआरएस और बीजेपी के बीच बताई जा रही है। इसके अलावा पूर्वोतर के भी कई राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें बीजेपी शासित त्रिपुरा, मेघालय,नागालैंड और मिजोरम शामिल है। मेघालय,नागालैंड की सरकार को बीजेपी का भी समर्थन हासिल है। अगले साल जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव होने की अटकलें हैं।

हिंदी पट्टी में बड़ी लड़ाई

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में साल 2018 में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। इन तीनों राज्यों में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी। हालांकि, इनमें से मध्य प्रदेश में 2020 में कांग्रेस के अंदरूनी कलह का फायदा उठाकर बीजेपी सत्ता में वापसी करने में सफल हो गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण 15 सालों बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस 15 माह बाद सत्ता से बाहर हो गई। बागियों की मदद से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एकबार फिर बीजेपी की सरकार प्रदेश में बनी। ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।

राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज रहा है। 2018 में इसी परंपरा के तहत बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी और कांग्रेस को सत्ता से नसीब हुई। उस दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शुरू हुआ सियासी ड्रामा अब तक जारी है। राजस्थान में किसी तरह कांग्रेस एमपी की तरह ऑपरेशन कमल को नाकामयाब करने में सफल रही। राजस्थान में पांच साल बाद सत्ता बदलने की परंपरा के मुताबिक, बीजेपी का पलड़ा भारी है। हालांकि, कांग्रेस इसबार इस रिवाज को बदलने का दावा कर रही है। दावे से इतर पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती गहलोत बनाम पायलट की गुटबाजी खत्म करने को लेकर है। वहीं, बीजेपी में भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया समेत कई गुट सक्रिय हैं।

छत्तीसगढ़ वर्तमान में देश में इकलौता कांग्रेस शासित राज्य है, जहां कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में है। साल 2018 में कांग्रेस ने भगवा दल को जोरदार पटखनी देते हुए उसके 15 सालों के शासन का अंत कर दिया था। राज्य में फिलहाल कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। हालांकि, यहां भी अन्य राज्यों की तरह सीएम भूपेश बघेल बनाम स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दो गुट हैं। लेकिन फिलहाल सीएम बघेल विरोधी गुट पर हावी नजर आ रहे हैं। वहीं, विपक्षी बीजेपी अगले साल विधानसभा चुनाव में एकबार फिर सत्ता हासिल करने के लिए उतरेगी। देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा रमन सिंह के चेहरे के साथ उतरती है या किसी नए चेहरे पर दांव खेलती है।

दक्षिण में लड़ाई

अगले साल दक्षिण भारत के एकमात्र बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में विधानसभा होने हैं। पारंपरिक रूप से साउथ में कमजोर रहने वाली बीजेपी के लिए कर्नाटक काफी अहम है। अगर ये राज्य पार्टी के हाथ से फिसलता है तो वह पूरे दक्षिण भारत से साफ हो जाएगी। साल 2018 से ही कर्नाटक की राजनीति में उठापटक जारी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे सीटें हासिल करने के बावजूद बीजेपी मैजिक नंबर तक नहीं पहुंच पाई और कांग्रेस और जेडीएस ने पोस्ट पोल एलायंस कर भगवा दल को सत्ता में आने से रोक दिया।

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने राज्य में ऑपरेशन लोट्स चलाकर कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस - जेडीएस गठबंधन सरकार को गिरा दिया। लेकिन बीजेपी की मुसीबत कम नहीं हुई। वयोवृद्ध नेता बीएस येदियुरप्पा अपनी बढ़ती उम्र के कारण सरकार ठीक से नहीं चला पा रहे थे। काफी मशक्कत के बाद बीजेपी उन्हें पद छोड़ने के लिए मना पाई। बीजेपी ने उन्हीं के सुझाए कैंडिडेट और लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि, बोम्मई सरकार और संगठन पर अपनी पकड़ा कायम करने में असफल रहे हैं। अगले साल होने जा रहे 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक ही ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है और बीजेपी से सत्ता छीनती नजर आ रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया के बीच गुटबाजी को काफी हद तक कंट्रोल करने में कामयाब रही है।

साल 2023 में दक्षिण के एक अन्य अहम राज्य तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। तेलंगाना का चुनाव खबरों में इसलिए है क्योंकि कर्नाटक के बाद ये दूसरा राज्य है, जहां बीजेपी को अपने लिए सियासी संभावनाएं नजर आ रही हैं। कर्नाटक के बाद दक्षिण में सबसे अधिक लोकसभा सीटें बीजेपी को इसी राज्य से मिली है। इसके अलावा पिछले कुछ उपचुनावों में पार्टी ने राज्य में बढिया प्रदर्शन कर कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया है। सीएम के. चंद्रशेखर राव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों में आई तल्खी को इसे बड़ी वजह माना जा रहा है। राव ने 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने के लिए अपनी पार्टी टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को राष्ट्रीय पार्टी बीआरएस (भारतीय राष्ट्र समिति) के रूप में लॉन्च कर दिया।

पूर्वोतर में चुनाव

साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार आमने – सामने की लड़ाई सीपीएम को हराकर कोई राज्य जीता था। त्रिपुरा की दशकों पुरानी सीपीएम सरकार को हटाकर बीजेपी ने अपनी सत्ता स्थापित की थी। साल 2023 में त्रिपुरा में भी चुनाव होने जा रहा है। हालांकि, यहां भी बीजेपी के सामने चुनौतियां कम नहीं है। चुनावी साल से एक साल पहले बीजेपी को यहां अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। बिप्लब देब की जगह माणिक साहा को इस साल मई में त्रिपुरा का नया मुख्यमंत्री बनाया गया था। बीजेपी के सामने अपनी सत्ता बरकरार रखने की चुनौती होगी। इसके अलावा मेघालय, नागलैंड और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। मेघालय और नागलैंड में बीजेपी बतौर सहयोगी सरकार में शामिल है। वहीं, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है।

जम्मू कश्मीर में चुनाव

साल 2019 में राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। डीडीसी चुनावों के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, अगले साल के अंत तक चुनाव हो सकता है। हालांकि, अभी तक केंद्र की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं है।

10 राज्यों में लोकसभा सीटें

इन 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की सत्ता का सेमीफाइनल इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यहां 100 से अधिक लोकसभा सीटें हैं। मध्य प्रदेश – 28 सीट, राजस्थान – 20 सीट, छत्तीसगढ़ – 11 सीट, कर्नाटक – 28 सीट, तेलंगाना – 17 सीट, त्रिपुरा – 2 सीट, मेघालय – 2 सीट, मिजोरम – 1 सीट, नागालैंड – 1 सीट और जम्मू कश्मीर – 5 सीट।

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