Electric Vehicles Testing: अब सभी इलेक्ट्रिक वाहनों की होगी टेस्टिंग, अगले साल से होगी शुरुआत
Electric Vehicles Testing: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कोई केंद्रीकृत परीक्षण सुविधाएं नहीं हैं और निर्माताओं के अपने-अपने बेंचमार्क हैं।
Electric Vehicles Testing: भारत में पहली बार समस्त बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों की टेस्टिंग शुरू की जा रही है। ये अगले साल 1 अप्रैल से शुरू होगा। केंद्र सरकार ने पुणे स्थित ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के लिए बैटरी से चलने वाले वाहनों के परीक्षण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की खरीद अनिवार्य कर दी है।
वर्तमान में, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कोई केंद्रीकृत परीक्षण सुविधाएं नहीं हैं और निर्माता अपने अपने हिसाब से मानक बना कर काम करते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के परीक्षण, प्रमाणन और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए एआरएआई को 44 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वर्तमान में, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कोई केंद्रीकृत परीक्षण सुविधाएं नहीं हैं और निर्माताओं के अपने-अपने बेंचमार्क हैं। जून में बैटरी प्रौद्योगिकी के मानकीकरण की दिशा में पहले बड़े कदम में भारतीय मानक ब्यूरो ने व्यापक आईएसओ मानदंडों के अनुरूप लिथियम-आयन बैटरी पैक और ट्रैक्शन सिस्टम के लिए प्रदर्शन मानदंड जारी किए थे।
हाल के महीनों में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और फोर-व्हीलर्स में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। एआरएआई में प्रस्तावित परीक्षण बुनियादी ढांचे में बैटरी सेल, बैटरी प्रबंधन प्रणाली, ऑनबोर्ड चार्जर, बैटरी पैक डिजाइन और आंतरिक सेल शॉर्ट सर्किट से जुड़े थर्मल प्रसार के लिए स्क्रीन शामिल होने की संभावना है जो संभावित रूप से ईवीएस में आग का कारण बन सकते हैं।
एआरएआई वर्तमान में ऑटोमोटिव वाहनों, प्रणालियों और घटकों के लिए प्रमाणन और होमोलोगेशन सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान करता है और देश भर में वाहन निरीक्षण और प्रमाणन केंद्र स्थापित करने में मदद करने के साथ-साथ मोटर वाहन उद्योग मानकों के निर्माण और नियमों के सामंजस्य में सरकार की सहायता करता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में जून के अंत तक 13 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन थे। इनमें आधे से अधिक तिपहिया वाहन हैं। शेष वाहनों का एक बड़ा हिस्सा दोपहिया वाहन हैं। चार पहिया वाहन अभी कम ही हैं इसकी एक बड़ी वजह इनकी ज्यादा कीमत है।सरकार ने ईवी कारों के लिए कुछ स्कीमें चलाई हैं लेकिन उसके बावजूद पेट्रोल डीजल वाहनों के मुकाबले, कीमतें औसतन अधिक हैं।