हरियाणा में किसान आंदोलन का असर, निकाय चुनावों में BJP-JJP गठबंधन को झटका

सोनीपत,अंबाला और पंचकूला नगर निगम में मेयर पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस सिर्फ सोनीपत में विजयी होने में कामयाब रही। पंचकूला में कांग्रेस और भाजपा के बीच जबर्दस्त टक्कर हुई, लेकिन आखिरकार बाजी भाजपा के हाथ लगी।

Update:2021-01-01 09:54 IST
हरियाणा में किसान आंदोलन का असर, निकाय चुनावों में BJP-JJP गठबंधन को झटका (PC:social media)

नई दिल्ली: हरियाणा की सियासत पर किसान आंदोलन का असर दिखाई पड़ने लगा है। एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के बीच हुए हरियाणा स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को करारा झटका लगा है। हालांकि इस चुनाव में राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी ज्यादा फायदे में ही नहीं रही।

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सोनीपत,अंबाला और पंचकूला नगर निगम में मेयर पद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस सिर्फ सोनीपत में विजयी होने में कामयाब रही। पंचकूला में कांग्रेस और भाजपा के बीच जबर्दस्त टक्कर हुई, लेकिन आखिरकार बाजी भाजपा के हाथ लगी। अंबाला में भाजपा और कांग्रेस दोनों को पछाड़कर हरियाणा जन चेतना पार्टी ने बाजी मार ली। सियासी जानकार चुनाव नतीजे में किसान आंदोलन का बड़ा असर मान रहे हैं।

पंचकूला में हुई कांटे की टक्कर

पंचकूला नगर निगम में भाजपा और जेजेपी गठबंधन ने संयुक्त प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा था। दोनों दलों के संयुक्त प्रत्याशी कुलभूषण गोयल और कांग्रेस प्रत्याशी उपेंद्र कौर अहलूवालिया के बीच कांटे की टक्कर हुई। भाजपा प्रत्याशी गोयल को 49860 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस प्रत्याशी उपेंद्र कौर को 47803 वोट मिले। इस तरह भाजपा प्रत्याशी को 2057 मतों से जीत हासिल हुई।

सोनीपत में कांग्रेस को मिली कामयाबी

पंचकूला में चुनाव हारने वाली कांग्रेस को सोनीपत नगर निगम चुनाव में विजय हासिल हुई। यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी निखिल मतदान को 72118 वोट हासिल हुए तो भाजपा के ललित बत्रा को 58300 वोट मिले। इस तरह कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा पर 13818 वोटों से जीत हासिल की।

अंबाला में विनोद शर्मा ने दिखाई ताकत

अंबाला नगर निगम के चुनाव में पूर्व मंत्री विनोद शर्मा ने अपनी ताकत दिखाई। शर्मा की अगुवाई वाली हरियाणा जन चेतना पार्टी अंबाला में मेयर का चुनाव जीतने में कामयाब हुई।

विनोद शर्मा की पत्नी और हरियाणा जन चेतना पार्टी की प्रत्याशी रानी शर्मा ने भाजपा की वंदना शर्मा को करीब 8000 मतों से हराकर हराकर मेयर का चुनाव जीता। कांग्रेस प्रत्याशी मीना अग्रवाल अंबाला में चौथे स्थान पर पिछड़ गईं।

farmer-protest haryana (PC:social media)

निर्दलीय प्रत्याशियों को भी मिला समर्थन

रेवाड़ी नगर परिषद में भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने में तो कामयाब हो गई मगर सांपला, धारूहेड़ा और उकलाना के मतदाताओं ने सभी सियासी दलों को खारिज करते हुए निर्दलीय प्रत्याशियों को तरजीह दी।

रेवाड़ी में भाजपा के पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा की रणनीति में असर दिखाया और भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी उपमा यादव को करीब 2000 मतों से हराया।

धारूहेड़ा नगर पालिका में निर्दलीय प्रत्याशी कंवर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो सांपला नगर पालिका में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी पूजा ने भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया। इसी तरह उकलाना में जेजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।

दो साल पहले भाजपा ने दिखाई थी ताकत

दो साल पहले 2018 में हुए महापौर चुनाव में भाजपा को पांच शहरों में कामयाबी मिली थी। भाजपा ने 2018 में करनाल, हिसार, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर में मेयर का चुनाव जीत लिया था।

हालांकि इस साल नवंबर में सोनीपत के बरोदा विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को झटका लगा था। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने सीट पर कब्जा बरकरार रखते हुए भाजपा को हरा दिया था।

किसान आंदोलन का दिखा असर

सियासी जानकारों का कहना है कि हरियाणा में हुए निकाय चुनाव में किसान आंदोलन ने असर दिखाया है। इसी कारण बीजेपी-जेजेपी के सत्ताधारी गठबंधन को महज एक नगर निगम में ही कामयाबी मिल सकी है। वैसे कुछ लोगों का यह भी कहना है कि स्थानीय मुद्दों और प्रत्याशियों से नाराजगी के कारण भी सत्तारूढ़ गठबंधन को इस चुनाव में झटका लगा है।

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नतीजों पर खट्टर ने किया यह दावा

चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि भाजपा अन्य सभी सियासी दलों से अधिक वोट पाने में कामयाब रही है। उन्होंने भाजपा के विजयी प्रत्याशियों को बधाई देते हुए पार्टी का समर्थन करने वाले मतदाताओं के प्रति आभार भी जताया।

दूसरी ओर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बरोदा उपचुनाव के बाद सोनीपत की जनता ने पार्टी का समर्थन करके राज्य में नई बयार का संकेत दिया है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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