फीका पड़ा किसान आंदोलन: बढ़ती टकरार से अलग हुए संगठन, खत्म करने का ऐलान
किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन अब फीका पड़ गया है। ऐसे में एक तरफ पूरे देश में किसानों के खिलाफ भयंकर गुस्सा है तो जबकि दूसरी तरह किसान संगठनों में भी फूट पड़ती दिखाई दे रही है। जिसके चलते दोनों किसान संगठनों ने खुद को इस आंदोलन से अलग-थलग कर दिया।
नई दिल्ली: दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन किसान ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन अब फीका पड़ गया है। ऐसे में एक तरफ पूरे देश में किसानों के खिलाफ भयंकर गुस्सा है तो जबकि दूसरी तरह किसान संगठनों में भी फूट पड़ती दिखाई दे रही है। जिसके चलते दोनों किसान संगठनों ने खुद को इस आंदोलन से अलग-थलग कर दिया। इस बारे में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह (VM Singh) ने कहा कि वो इस आंदोलन से खुद को अलग कर रहे हैं। वहीं भानू गुट ने भी किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है।
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सरकार की भी गलती है
ऐसे में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में जो हुआ इन सब में सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी? जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी तब सरकार कहां थी?
इसके साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर वीएम सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कृषि कानूनों के विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो।
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हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी
इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि मैं और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है।
किसानों को आंदोलन में वीएम सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं। आईटीओ (ITO) में एक साथी शहीद भी हो गया। वहीं उन्होंने कहा कि जो शख्स किसानों को लाल किले तक लेकर गया या जिसने किसानों को उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।
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