SC को धन्यवाद देते हुए इस बड़े किसान नेता ने 4 सदस्यीय कमेटी से नाम लिया वापस
भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। उन्होंने लिखा है कि एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आन्दोलन का आज 50 दिन है। किसान अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। सरकार के साथ अब तक की बातचीत बेनतीजा साबित हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर रोक लगाते हुए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जो आगे इस पूरे मामले में किसान और सरकार दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से बात करके कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उसके बाद कोर्ट कोई आगे निर्णय लेगा।
इस बीच आज खबर आ रही है सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है।
बता दें कि कोर्ट के फैसले के बाद से ही भूपिंदर सिंह मान के नाम पर हो हल्ला मचा हुआ था। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि भूपिंदर सिंह मान पहले ही तीनों कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं।
कमेटी से अलग होने से पहले भूपिंदर सिंह मान ने कही ये बात
भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। उन्होंने लिखा है कि एक किसान और संगठन का नेता होने के नाते मैं किसानों की भावना जानता हूं।
मैं अपने किसानों और पंजाब के प्रति वफादार हूं। इन के हितों से कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। मैं इसके लिए कितने भी बड़े पद या सम्मान की बलि चढ़ा सकता हूं। मैं कोर्ट की ओर से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभा सकता। मैं खुद को इस कमेटी से अलग करता हूं।
भूपिंदर सिंह मान के बारें में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
सुप्रीम कोर्ट ने किसान और सरकार के बीच गतिरोध को खत्म करके समाधान निकालने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई है।
इस कमेटी में ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख और पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान को भी शामिल किया गया था। उनका संगठन के तहत कई किसान संगठन आते हैं, ऐसे में किसानों पर उनका प्रभाव भी अच्छा है।
भूपिंदर सिंह मान की कृषि कानून पर राय ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख भूपिंदर सिंह मान ने दिसंबर महीने में ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कानूनों का समर्थन कर दिया था। हालांकि, कुछ संशोधनों की मांग जरूर की थी, जिनमें एमएसपी पर लिखित गारंटी देने को कहा गया था।
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