सातवें दौर की बात-चीत फेल, 4 जनवरी को फिर होगी किसान और सरकार की बैठक

किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है। इस बार की बातचीत में चार प्रस्ताव मेंं से दो पर रजामंदी हो गई है। एमएसपी और कानून वापसी पर चार जनवरी को फिर बातचीत होगी। वहीं, किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे।     

Update:2020-12-30 10:43 IST
सातवें दौर की बात-चीत फेल, 4 जनवरी को फिर होगी किसान और सरकार की बैठक

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 35वां दिन था। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच आज कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है। ये बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई, जिसमें 40 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। इस बार की बातचीत में चार प्रस्ताव मेंं से दो पर रजामंदी हो गई है। एमएसपी और कानून वापसी पर चार जनवरी को फिर बातचीत होगी। वहीं, किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

सरकार ने की समिति बनाने की पेशकश

किसान-सरकार के बीच बातचीत जारी है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों से जुड़ी मांगों और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है। सरकार ने कानूनों से जुड़ी जानकारी दी और कहा कि कानून बनाने और वापस लेने की एक लंबी प्रक्रिया है।

कृषि कानून रद्द नहीं करेगी सरकारः सूत्र

किसान-सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक जारी है। सूत्रों के मुताबिक, तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस नहीं लेगी। ऐसे में इस बैठक पर भी ग्रहण लगते दिख रहा है।

प्लेट लेकर लाईन में लगे कृषि मंत्री, किसानों के लिया लंगर से आया खाना

विज्ञान भवन में वार्ता के बीच मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में दिखे। बता दें कि आज किसान-सरकार के बीच 7वें दौर की बातचीत चल रही है।

विज्ञान भवन में बैठक, बाहर लंगर

किसानों और सरकार के बीच लंबे वक्त से बातचीत विज्ञान भवन में हो रही है। इस बीच विज्ञान भवन के बाहर ही लंगर की व्यवस्था की गई है। किसानों के लिए खाना भी हर बार की तरह उनके स्थान से ही आया है, पिछली बैठकों में किसानों ने सरकार द्वारा दिए गए भोजन को खाने से इनकार किया था।

कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर पहुंचे विज्ञान भवन, किसानों से बातचीत शुरू

कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच एक और बातचीत शुरू हो गई है। ये बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हो रही है, जिसमें 40 संगठन हिस्सा ले रहे हैं।

बातचीत करने के लिए रवाना हुए किसान

किसान संगठनों और सरकार के बीच आज फिर बातचीत होनी है। जिसके लिए सिंघु बॉर्डर से किसान नेता विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए हैं। कृषि कानून के मसले पर दोनों पक्षों में होने वाली ये छठे राउंड की बातचीत है।

जल्द आंदोलन खत्म होने की उम्मीद: केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश का कहना है कि उन्हें उम्मीद है आज ही किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। सरकार किसानों के साथ खुले मन से बात कर रही है, जो भी सुझाव आएंगे उसपर विचार किया जाएगा।

किसान आंदोलन पर क्या बोले राजनाथ सिंह?

कृषि कानून को लेकर लगातार कांग्रेस केंद्र सरकार को घेर रही है। ऐसे में राजनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि वो एक किसान परिवार में पैदा हुए हैं, ऐसे में वो राहुल गांधी से अधिक खेती के बारे में जानते हैं। कृषि कानूनों को किसानों की भलाई के लिए लाया गया है।

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किसानों पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप नहीं लगना चाहिये-राजनाथ सिंह

किसान आंदोलन में शामिल किसानों पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगने पर राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों पर इस तरह का आरोप नहीं लगना चाहिए। हम किसानों का सम्मान करते हैं, वो हमारे अन्नदाता हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार किसानों के साथ कृषि कानून के हर मसले पर चर्चा करने को तैयार है, नए कानून किसानों की भलाई के लिए हैं। अगर किसी को कोई दिक्कत है तो सरकार चर्चा को तैयार है।

सरकार और किसानों की बैठक आज

सरकार ने किसानों को कृषि कानूनों पर कभी भी वार्ता के लिए प्रस्ताव दिया था। किसान संगठनों ने तय किया कि वह सरकार का प्रस्ताव मांगेंगे और उनके साथ बैठक कर कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर चर्चा करेंगे। ऐसे में आज दोनों पक्षों के बीच सातवीं दौर की बैठक होनी है। सबकी निगाहें किसान नेताओं और सरकार के बीच होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं। बैठक की सफलता और असफलता पर ही इस आंदोलन का भविष्य टिका है।

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कानून वापस लेने पर अड़े किसान, राकेश टिकैत का एलान :

भले ही सरकार के साथ किसान नेताओं की एक बार फिर वार्ता होती है लेकिन किसान यूनियन अपने पक्ष को लेकर स्पष्ट है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार के साथ होने वाली बैठक से पहले ही साफ़ कर दिया कि कृषि कानून रद्द होने के फैसले पर ही बात होगी। बीच का रास्ता या संसोधन का कोई रास्ता नहीं बनता। उन्होंने कहा कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी तो ही प्रदर्शन खत्म नहीं होगा। सरकार को कानून वापस लेना ही पड़ेगा।

सिंघुु बॉर्डर समेत कई रास्ते बंद

किसान आंदोलन के चलते आज सिंघु, औचंदी, पियाऊ मनियारी, सबोली और मंगेश बॉर्डर बंद रहेंगे। इसलिए साफियाबाद, पल्ला और सिंघु टोल टैक्स बॉर्डर वाले वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें। मुकरबा और जीटी करनाल रोड पर रूट डायवर्ट किया गया है इसलिए रिंग रोड, जीटी करनाल रोड और एनएच 44 से न जाने की सलाह है।

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