किसान आंदोलन की लाइफलाइन: इस संगठन ने फूंकी जान, ऐसे काम कर रहा IT सेल

किसान आंदोलन को हाईटेक बनाने और सोशल मीडिया पर इस आंदोलन की जबर्दस्त उपस्थिति दर्ज कराने में एक छात्र संगठन की बड़ी भूमिका है। जमींदारा छात्र सभा से जुड़े हुए युवा हमेशा आंदोलन से जुड़ी हर जानकारी को अपडेट करने में जुटे रहते हैं।

Update:2021-01-04 11:43 IST
इस संगठन ने फूंकी किसान आंदोलन में जान, जानिए कैसे काम कर रहा यह अद्भुत आईटी सेल

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों ने ही आंदोलन को मजबूती नहीं दी है बल्कि इसे मजबूत बनाने में सोशल मीडिया की भी बड़ी भूमिका है। किसान आंदोलन को हाईटेक बनाने और सोशल मीडिया पर इस आंदोलन की जबर्दस्त उपस्थिति दर्ज कराने में एक छात्र संगठन की बड़ी भूमिका है। जमींदारा छात्र सभा से जुड़े हुए युवा हमेशा आंदोलन से जुड़ी हर जानकारी को अपडेट करने में जुटे रहते हैं। किसानों के मंच से आंदोलन को लेकर जो भी नई घोषणाएं होती हैं, उसे ये युवा तेजी से सोशल मीडिया के जरिए एक-एक किसान तक पहुंचाने का काम करते हैं।

इस संगठन से जुड़े हैं युवा

जमींदारा छात्र सभा (जेसीओ) से जुड़े ये युवा समर्पित भाव से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। इन युवाओं में किसी ने इंजीनियरिंग की डिग्री ले रखी है तो कोई ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन का छात्र है। कुछ युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी मल्टीनेशनल कंपनी को ज्वाइन कर लिया है। मीडिया की बारीकियों को नजदीक से समझने वाले ये युवा आंदोलन की जान बने हुए हैं। उन्होंने इस आंदोलन को हाईटेक बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

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आंदोलन को लेकर लोगों के दिमाग में सवाल

किसानों के इस आंदोलन को लेकर लोगों के दिमाग में ये सवाल उठते रहे हैं कि आखिरकार गांवों से जुड़े गरीब किसान सोशल मीडिया पर इतना सक्रिय कैसे हो सकते हैं? कैसे इतनी जल्दी ट्विटर पर सारी जानकारियां आ जा रही हैं? कैसे सोशल मीडिया पर किसानों की इतनी मजबूत पहुंच हो सकती है? इन सवालों का जवाब देना दूसरे लोगों के लिए कठिन हो रहा है मगर इन सभी सवालों का असली जवाब यह है कि जमींदारा छात्र सभा से जुड़े युवाओं ने इस आंदोलन को सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर काफी मजबूत बना दिया है।

 

संगठन से जुड़े हैं इतने ज्यादा सदस्य

जमींदारा छात्र सभा के महासचिव मीत मान का कहना है कि फिलहाल संगठन में 28,352 सक्रिय सदस्य हैं। संगठन से जुड़े सक्रिय सदस्य जब भी किसानों से जुड़े किसी मुद्दे को लेकर एक साथ ट्वीट करते हैं तो वह मुद्दा ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग में आ जाता है। उनका कहना है कि इन सक्रिय सदस्यों में से करीब 150 से 200 सदस्य हर समय टिकरी बॉर्डर पर मौजूद रहते हैं। ये सदस्य हर नई जानकारी को सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म के जरिए लोगों तक पहुंचाने के काम में जुटे हुए हैं।

इस तरह पड़ा संगठन का नाम

मान का कहना है कि हमारा संगठन गांव के माहौल को बचाने और बढ़ाने में जुटा है। हम हर सुविधा के लिए बच्चों को शहर की ओर जाने की मजबूरी को खत्म करना चाहते हैं। जमीन से जुड़ा हर आदमी जमींदार है। हम उसी के लिए काम करने में जुटे हुए हैं। यही कारण है कि संगठन का नाम ही जमींदारा छात्र सभा रखा गया है। छात्र जीवन की पढ़ाई पूरी कर चुके लोगों के लिए जमींदारा सोशलिस्ट ऑर्गनाइजेशन भी बनाया गया है।

सोशल मीडिया पर इसलिए निभा रहे जिम्मेदारी

पेशे से इंजीनियर और इस संगठन से जुड़े हुए नवीन दहिया का कहना है कि हम किसान के बेटे हैं। आज हम लोग भले ही नौकरी करने लगे हैं मगर हम हमारा मूल काम किसानी ही है। दहिया के मुताबिक आज जब हमारे बाप-दादा अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरने पर मजबूर हुए हैं तो हमारा भी दायित्व उनकी मदद करना है। हम अपनी पूरी क्षमता के साथ किसान आंदोलन को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं।

दहिया का कहना है कि हमें सोशल मीडिया की बारीकियां पता है। हम जानते हैं कि सोशल मीडिया पर क्या और कैसे ट्रेंड कराया जाता है। जब यह काम हम अपनी कंपनी के लिए कर सकते हैं तो अपने बाप-दादा के लिए क्यों नहीं।

छात्रसंघों पर भी बना ली है पकड़

जमींदारा छात्र सभा की शुरुआत हरियाणा से हुई थी। इसका गठन 2016 में हुआ था। अब संगठन की पकड़ राजस्थान के 8 और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में भी हो चुकी है। संगठन से जुड़े लोगों का दावा है कि हरियाणा के कई कालेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ चुनावों में भी संगठन ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। संगठन से जुड़े कई सदस्य छात्रसंघों में पदाधिकारी तक बन चुके हैं।

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संगठन निभा रहा यह जिम्मेदारी भी

इस संगठन ने किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के साथ ही हरियाणा के अलग-अलग किसान संगठनों को एक मंच पर लाने का भी काम किया है। फिलहाल टिकरी बॉर्डर पर सबसे बड़ा लंगर भी इसी संगठन की ओर से चलाया जा रहा है और अन्य लोगों को राशन और सब्जियां उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी इसी संगठन से जुड़े लोगों को सौंपी गई है।

रचनात्मक तरीके से काम करता है संगठन

संगठन से जुड़े युवा बेहद रचनात्मक ढंग से किसानों से जुड़े मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाते हैं। संगठन के आईटी सेल से जुड़े एक युवा का कहना है कि राजनीतिक दलों की तरह हमारे यहां कॉपी पेस्ट वाला काम नहीं होता बल्कि हम एक ही हैश टैग पर अलग-अलग ट्वीट करने में भरोसा रखते हैं।

रिपोर्ट: अंशुमान तिवारी

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