वित्त मंत्रालय की सार्वजनिक बैंकों को सलाह, बंद हों घाटे में चलने वाली शाखाएं
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (NPA) के चलते दबाव में हैं। वित्त मंत्रालय ने अब इन बैंकों को सलाह दी है कि वह अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए उन घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय शाखाओं को जो घाटे में चल रहीं हैं उन्हें बंद करें।
नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (NPA) के चलते दबाव में हैं। वित्त मंत्रालय ने अब इन बैंकों को सलाह दी है कि वह अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए उन घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय शाखाओं को जो घाटे में चल रहीं हैं उन्हें बंद करें।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस तरह की घाटे में चलने वालीं शाखाओं को आगे भी चलाते रहने का कोई औचित्य नहीं है इससे सिर्फ उनकी बैलेंसशीट पर दबाव पड़ता है। बैंकों को चाहिए कि वो बड़ी-बड़ी बचतों के साथ छोटीं बचतों पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करें। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक पहले ही इस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।
इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी संसाधनों के अधिकतम उपयोग और प्रशासनिक खर्चों को कम करने के उद्देश्य से अपने 10 क्षेत्रीय कार्यालयों को बंद कर दिया है। अब इनकी संख्या घटकर 49 रह गई है।
दरअसल, वित्त मंत्रालय का मानना है कि एक ही देश के अंदर कई भारतीय बैंकों की आवश्यकता नहीं है इसलिए अंतर्राष्ट्रीय शाखाओं को एकीकृत किया जाए, और जिन शाखाओं की आवश्यकता नहीं है उन्हें बंद किया जाए। वहां पांच- छह बैंकों को मिलाकर एक बड़े बैंक का निर्माण किया जाए। अलाभकारी शाखाओं को बंद करने के साथ-साथ उन्हें बेचने पर भी विचार किया जा सकता है ताकि अधिकतम प्रतिफल देने वालें बाजारों पर ध्यान दिया जा सके। इसके चलते पंजाब नेशनल बैंक भी अपनी ब्रिटेन की सहायक इकाई पीएनबी इंटरनेशनल में हिस्सेदारी बेचने की संभावना तलाश रही है।