महिला को फांसी: देश में पहली बार होगा ऐसा, दास्तान-ए-जुर्म जानकर कांप जाएगी रूह

मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला के लिये फांसी घर बनाया गया था। आजादी के बाद किसी महिला को भारत में फांसी नहीं दी गई है। शबनम पहली महिला है,

Update:2021-02-17 10:36 IST
आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी देने की तैयारी, जानिये क्या है जुर्म, पूरी कहानी

मथुरा: भारत में आजादी के बाद पहली बार किसी महिला को फांसी देने की तैयारी की जा रही है। मथुरा जेल में बंद अमरोहा की रहने वाली शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है, जिसके बाद जेल प्रशासन फांसी की तैयारी शुरू कर दी है। मेरठ का पवन जल्लाद ही शबनम को फांसी देगा। पवन दो बार मथुरा जेल का निरीक्षण कर चुका है, हालांकि फांसी की तारीख अभी तय नहीं है, मगर जल्द ही तारीख आ सकती है।

फांसी की सजा बरकरार

बता दें कि अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा

जूर्म की पूरी कहानी

अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका ख़ारिज कर दी है। अमरोहा ज़िले का बावनखेड़ी गांव 15 अप्रैल 2008 को गांव की एक लड़की की चीख पुकार से लोगों की नींद खुलती है। गांव के लोग जब घर पहुंचते हैं तो परिवार के सात लोगों का खून से लथपथ शव फर्श पर पड़ा था।

25 साल की शबनम चीख- चीखकर लोगों को बताती है कि लुटेरों ने लूट के लिये उसके परिवार को मार डाला। पुलिस मौके पर पहुंचती और जब मामले की जांच होती है तो पूरी कहानी सामने आ जाती है। पुलिस के अनुसार 25 साल के शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पूरी घटना को अंजाम दिया।दरअसल पोस्टग्रेजुएट और पेशे से शिक्षक शबनम को पांचवीं पास सलीम से प्यार हो गया था।

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बाद में उगला सच

परिवार वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसी बीच शबनम गर्भवती हो गई। फिर दोनों ने मिलकर परिवार को खत्म करने की योजना बनाई। 15 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने खाने में कुछ मिलाया और जब सब बेहोशी की नींद सो गए तो उसने एक-एक कर कुल्हाड़ी से सबको मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने जांच के क्रम में जब शबनम की कॉल डिटेल निकाली तो उसके सलीम से बात होने की पुष्टि हो गई। शबनम से जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने सब उगल दिया।

प्रेमी सलीम को भी गिरफ्तार कर लिया गया और हत्या में उपयोग किया गया कुल्हाड़ी भी बरामद हो गया। अदालत ने जघन्य हत्याकांड के लिये शबनम और सलीम दोनों को फांसी की सजा सुनाई है। जेल जाने के करीब सात माह बाद शबनम के एक बेटे को जन्म दिया। कई साल तक ये बच्चा शबनम के साथ रहा। 2015 में फांसी की सजा सुनाए जाने के शबनम ने इस बच्चे को अपने दोस्त और उसकी पत्नी को सौंप दिया था। शबनम और सलीम का बेटा अभी 11 साल का है।

 

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पहली बार महिला को दी जायेगी फांसी

मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला के लिये फांसी घर बनाया गया था। आजादी के बाद किसी महिला को भारत में फांसी नहीं दी गई है। शबनम पहली महिला है, जिसे फांसी दी जानी है। फांसी देने से पहले फांसी घर की मरम्मत भी की जा चुकी है। अब जेल प्रशासन को डेथ वारंट जारी होने का इंतजार है।

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