अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाले पूर्व CJI गोगोई को मिली जेड प्लस सुरक्षा

देश में गिने –चुने लोगों को ही जेड प्लस सुरक्षा दी जाती है। देश में किस शख्स को यह जेड प्लस की सुरक्षा दी जानी है ये निर्णय केंद्र सरकार करता है। है।

Update:2021-01-22 17:15 IST
जिन लोगों को ये विशेष श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है उनकी सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के जिम्मे होता है।

नई दिल्ली: अयोध्या राम मंदिर समेत कई अहम फैसले सुनाने वाले भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को केंद्र सरकार द्वारा जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

देशभर में कहीं भी आने-जाने के लिए गोगोई को Z+ सुरक्षा मिली है। पूर्व चीफ जस्टिस को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार की तरफ से सीआरपीएफ को बोला गया है। बता दें कि अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने से पहले भी तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी।

आपको बताते चलें कि देश में गिने –चुने लोगों को ही जेड प्लस सुरक्षा दी जाती है। देश में किस शख्स को यह जेड प्लस की सुरक्षा दी जानी है ये निर्णय केंद्र सरकार करता है। है। वहीं जिन लोगों को ये विशेष श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाती है उनकी सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के जिम्मे होता है।

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अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाले पूर्व CJI गोगोई को मिली जेड प्लस सुरक्षा(फोटो:सोशल मीडिया)

कौन हैं जस्टिस रंजन गोगोई?

बता दें कि रंजन गोगोई असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास की पढ़ाई की है।

गोगोई साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने। साल 2011 में वो पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे। साल 2012 में जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।

अयोध्या विवाद पर सुनाया था फैसला

रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अयोध्या के 70 साल पुराने केस पर बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण का फैसला दिया था।

सुन्नी वक्फ बोर्ड को दूसरी जगह पर 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि दिए जाने आदेश दिया गया था। कोर्ट ने राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया था।

फैसला देते हुए रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने अहम सवालों के सिलसिलेवार जवाब भी दिए थे।

अयोध्या पर फैसला रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस एस. ए. बोबडे (अब चीफ जस्टिस), जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सुनाया था।

सबरीमाला मामले को बड़ी बेंच को भेजा था

रंजन गोगोई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को लेकर दाखिल की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इसे 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।

5 जजों की पीठ का यह फैसला 3-2 के बहुमत से हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई थी। इस फैसले के खिलाफ 50 से ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं शीर्ष अदालत में दाखिल की गई थीं।

अयोध्या राम मंदिर(फोटो:सोशल मीडिया)

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'चौकीदार चोर है' पर फैसला

राफेल डील की जांच की मांग वाली रिव्यू पिटिशन खारिज करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 'चौकीदार चोर है' वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर उन्हें नसीहत दी थी।

कोर्ट ने राहुल गांधी की माफी को स्वीकार करते हुए अवमानना याचिका तो खारिज कर दी थी, पर यह भी कहा था कि वह भविष्य में ऐसी बयानबाजी से बचें।

अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाले पूर्व CJI गोगोई को मिली जेड प्लस सुरक्षा(फोटो:सोशल मीडिया)

सरकारी विज्ञापन ने नेताओं के तस्वीर पर बैन

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सरकारी विज्ञापनों पर नेताओं की तस्वीरों को लगाने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने ये फैसला सुनाया था। उसकी अध्यक्षता रंजन गोगोई ने की थी। इस फैसले के बाद सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ही तस्वीर लगायी जा सकती है।

राफेल मामले पर फैसला

राफेल डील की जांच के लिए दाखिल रिव्यू पिटिशन को रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने खारिज कर दिया था। केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने सरकार को क्लीन चिट दी थी। संविधान पीठ ने कहा था कि मामले की अलग से जांच करने की कोई आवश्वयकता नहीं है।

चीफ जस्टिस का ऑफिस आरटीआईका दायरे में

रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का ऑफिस भी कुछ शर्तों के साथ सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे लाने का फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि सीजेआई का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी जज आरटीआई के दायरे में आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 6 भाषाओं में:

सुप्रीम कोर्ट का फैसला पहले अंग्रेजी भाषा में जारी किया जाता था। जिसके बाद चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई की पीठ ने हिंदी समेत 7 भाषाओं में कॉपी मुहैया कराने का फैसला लिया था। कई लोग ऐसे थे जो अंग्रेजी नहीं समझ पाते थे। इस फैसले के बाद अब हिंदी, तेलगू, असमी, कन्नड़, मराठी और उड़िया भाषाओं में जजमेंट उपलब्ध होते हैं।

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