सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत का निधन, किये थे ये महत्त्वपूर्ण फैसले

न्यायमूर्ति सावंत 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गाकर परिषद के सम्मेलन के सह-संयोजकों में से एक थे। 2002 के गुजरात दंगों की जांच करने वाले पैनल का भी हिस्सा रहे। मिली जानकारी के अनुसार कार्डियक अटैक के कारण उनका निधन हुआ।

Update:2021-02-15 21:47 IST
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत का निधन, किये थे ये महत्त्वपूर्ण फैसले

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत का पुणे स्थित उनके आवास पर सोमवार को सुबह नौ बजे निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। न्यायमूर्ति सावंत 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गाकर परिषद के सम्मेलन के सह-संयोजकों में से एक थे। 2002 के गुजरात दंगों की जांच करने वाले पैनल का भी हिस्सा रहे। मिली जानकारी के अनुसार कार्डियक अटैक के कारण उनका निधन हुआ।

गुजरात दंगों की जांच करने वाले पैनल का भी हिस्सा रहे

बता दें कि1995-2001 के दौरान प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के अध्यक्ष होने के अलावा, न्यायमूर्ति सावंत ने 31 दिसंबर, 2017 को एल्गर परिषद के पहले संस्करण के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका नभाई थी साथ ही सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीजी पारे के साथ इसके सह-संयोजक के रूप में कार्य किया था। 2002 के गुजरात दंगों की जांच करने वाले पैनल का भी हिस्सा रहे हैं।

यहां जानें पुत्री सुजाता माने ने पिता पीबी सावंत को क्या कहा

उनकी पुत्री सुजाता माने ने कहा, “मेरे पिता का एक न्यायाधीश के रूप में उल्लेखनीय कैरियर था। वे बहुत ही ईमानदार थे उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों को नही छोड़ा उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए जिससे बड़े पैमाने पर जनता को लाभ हुआ है। उन्हें लोगों के लिए उनके काम के लिए याद किया जाएगा। समाज के हित के लिए उनके द्वारा लिए गए साहसी निर्णय एक उदाहरण हैं।"

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30 जून, 1930 को जन्मे पीबी सावंत ने मुंबई विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद मुंबई उच्च न्यायालय में वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया औऱ कई लेख भी लिखे और अपनी पुस्तक 'लोकतंत्र का व्याकरण' के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सुधारों की सिफारिश भी किया।'

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उन्हें 1973 में मुंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और उनके महत्वपूर्ण फैसलों में जून 1982 की एयर इंडिया दुर्घटना की जांच भी शामिल है। उन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1995 में सेवानिवृत्त हुए। 2002 के गुजरात दंगों की जांच के समय न्यायमूर्ति थे। वहीं सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीजी कोलसे पाटिल ने कहा कि "न्यायमूर्ति सावंत हमेशा न्याय और लोगों की मुक्ति के लिए खड़े रहे। वह हम सभी के लिए एक आदर्श हैं और न्यायशास्त्र के अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए एक कार्यकर्ता और एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थे"

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न्यायमूर्ति सावंत ने न्यायिक आयोग का भी अध्यक्षता की जो 2003 में सामाजिक अपराधकर्ता अन्ना हजारे द्वारा एनसीपी के चार मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए स्थापित किया गया था।

रिपोर्ट-प्रकाश साहू

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