Goa Government: गोवा में नाम बदलने का रैकेट, अब सरकार हुई और ज्यादा सख्त

Goa Government: नाम बदलने में "बाहरी" लोगों की असामान्य रुचि पर गोवा में काफी हंगामा हुआ है और अब राज्य सरकार को अब नाम परिवर्तन के नियमों में और भी बदलाव करना पड़ा है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2022-07-23 12:17 IST

Goa Assembly (image social media)

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Goa Government: सोनू शर्मा ने अपना नाम फ्रांसिस जेवियर डिसूजा हो गए, मल्लपा मसमर्डी का नाम मार्क मस्करेनहास हो गया, मोहन करुणाकर तो जिमी लोबो बन गए। असिज़ महमद अली से असिज़ मैक्स फर्नांडीस और मलिकसाब सनदी।से मार्क फर्नांडीस - नाम बदलने का ये सिलसिला गोवा में कुछ ज्यादा ही तेज है। अखबारों में नाम परिवर्तन की नोटिसों की भरमार दिखाई देती है। ये सिलसिला बरसों से जारी है।

नाम बदलने में "बाहरी" लोगों की असामान्य रुचि पर गोवा में काफी हंगामा हुआ है और अब राज्य सरकार को अब नाम परिवर्तन के नियमों में और भी बदलाव करना पड़ा है। 

नाम बदलने की प्रक्रिया को कंट्रोल करने के लिए पहली बार 2019 में एक एक्ट बनाया गया था। गोवा नाम और उपनाम (संशोधन) विधेयक, 2019 के तहत नाम परिवर्तन में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन न करने पर गिरफ्तारी और जेल की सजा का प्रावधान किया गया था।

अब गोवा विधानसभा ने प्रतिबंधों को कड़ा करते हुए एक और संशोधन विधेयक पारित किया है। अब अपना नाम बदलने के लिए, किसी को अपना जन्म गोवा में पंजीकृत कराना होगा, और उस व्यक्ति के माता-पिता या दादा-दादी में से कोई एक ऐसा होना चाहिए जिसका जन्म गोवा में हुआ हो।

नाम परिवर्तन की अनुमति देने का अधिकार अभी तक रजिस्ट्रार या राज्य के मुख्य रजिस्ट्रार में निहित था। लेकिन अब ये अधिकार "सिविल जज जूनियर डिवीजन" या "जिला न्यायाधीश" को दे दिया गया है। यानी नाम परिवर्तन की शक्ति सरकार ने न्यायपालिका के हवाले कर दी है। 

दरअसल 2019 का संशोधन विधेयक 1990 के अधिनियम में संशोधन की अगली कड़ी है। मूल कानून ने किसी के नाम और उपनाम में परिवर्तन करने के लिए नियम निर्धारित किए थे। नियम ये था कि जरूरी दस्तावेजों और सबूत के साथ रजिस्ट्रार के यहां आवेदन करना होता था। और समाचार पत्रों में विज्ञापन देना होता था। 2019 के संशोधन में निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करने को संज्ञेय अपराध बना दिया गया।

नवीनतम संशोधन कई समुदायों द्वारा लगाए गए आरोपों से भी उपजा है।संख्यात्मक रूप से मजबूत भंडारी समुदाय भी इसमें शामिल है। वैसे, नाम परिवर्तन के खिलाफ सभी दलों के विधायक एकजुट हैं। आरोप हैं कि बाहरी लोग सरकारी योजनाओं की सुविधाओं का फायदा उठाने, या जमीन खरीदने या विरासत में लेने या यहां तक कि पुर्तगाली पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए अपना नाम बदल कर लोकल गोवा के नाम रख लेते हैं। नाम बदलने के लिए लोग एक सामान्य अर्जी देते हैं और समाचार पत्रों में नाम परिवर्तन की सूचना छपवा देते हैं।

गोवा में नाम बदलने का रैकेट कई वर्षों से चल रहा है। नाम परिवर्तन की घोषणा करने वाले समाचार पत्रों के विज्ञापन अक्सर गोवा में सोशल मीडिया पर बहस का विषय रहे हैं। गोवा की राजनीति में 'बाहरी लोगों' के प्रवेश पर भी लोग एकमत से आवाज़ उठाते रहे हैं। मूलरूप से गोवा के लोगों के मन में ये डर है कि उनके लिए उपलब्ध लाभ और सुविधाएं "अन्य राज्यों के व्यक्तियों" द्वारा नाम और उपनामों को बदलकर और अपनाकर हड़पा जा रहा है।  

इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव से पहले विधि मंत्री कैब्राल ने कहा था कि राज्य मंत्रिमंडल ने गोवा नाम परिवर्तन और उपनाम अधिनियम, 1990 में संशोधनों को मंजूरी दी है, जिसमें नाम परिवर्तन की अनुमति देने की शक्तियाँ न्यायपालिका में निहित थीं। इस अधिनियम में उन शर्तों को भी सम्मिलित किया गया जिसमें ये अनिवार्य है।

अपना नाम बदलने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को अपना जन्मस्थान गोवा में पंजीकृत कराना होगा, उसके माता-पिता या दादा-दादी का जन्म गोवा में हुआ हो। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विधानसभा में कहा कि "किसी और सरकार ने इस बारे में सोचा भी नहीं था। कई नायर नाइक बन गए थे, लेकिन अब केवल वे ही अपना नाम बदल पाएंगे जिनके माता-पिता या दादा-दादी गोवा में पैदा हुए हैं।"

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