अलविदा INS विराट: 30 साल दी वायुसेना को सेवा, अब आखिरी यात्रा पर निकला
30 साल तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं देने वाला भारत का ताकतवर युद्धपोत INS विराट अब अपनी अंखिरी यात्रा पर निकल चुका है।
30 साल बहुत होते हैं किसी भी एक ही संस्थाने में सेवा करने के लिए। लेकिन ये किया है। वो भी किसी इंसान ने नहीं बल्कि युद्धपोत ने। जी हां, 30 साल तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं देने वाला भारत का ताकतवर युद्धपोत INS विराट अब अपनी अंखिरी यात्रा पर निकल चुका है। जिसके बाद अब ये शक्तिशाली आईएनएस विराट किसी को नज़र नहीं आएगा। क्योंकि अब ये युद्धपोत शनिवार को अपनी मुंबई से गुजरात के अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड के लिए रवाना हो चुका है। भारतीय नौसेना का यह ताकतवर युद्धपोत रविवार देर रात भावनगर पहुंचेगा। आपको बता दें कि आईएनएस विराट को साल 2017 में युद्धपोत से डिकमिशंड (सेवानिवृत्त) कर दिया गया था।
INS विराट के लोहे से होगा बाइक का निर्माण
सेना से 2017 में सेवानिवृत्त होने के बाद आईएनएस विराट को अलंग के श्रीराम ग्रुप ने नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीदा था। जिसके बाद से ये शक्तिशाली जहाज मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में लंगर डाले हुए था। जो कि शनिवार को अपनी आखिरी यात्रा के लिए रवाना हो चुका है। विराट को खरीदने वाले श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन मुकेश पटेल ने बताया कि युद्धपोत में उच्च गुणवत्ता का स्टील इस्तेमाल किया गया है। यह बुलेटप्रूफ मटेरियल भी है और इसमें लोहा बिल्कुल नहीं हैं।
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पता चला है कि नौसेना के इस शक्तिशाली युद्धपोत के लोहे का उपयोग मोटरबाइक्स बनाने के लिए किया जा सकता है। नीलामी में इस युद्धपोत को खरीदने वाले श्रीराम ग्रुप ने कहा कि इसे पूरी तरह तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदलने में एक साल का वक्त लगेगा। श्रीराम ग्रुप के पास एशिया का सबसे बड़ा स्क्रैपयार्ड है, जो गुजरात के अलंग में स्थित है। विस्तृत जानकारी देते हुए श्रीराम ग्रुप के चेयरमैन मुकेश पटेल ने कहा कि युद्धपोत के लोहे का उपयोग करके बाइक बनाने के लिए हमसे दो मोटरसाइकिल निर्माताओं ने संपर्क किया है, लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं किया गया है।
ब्रिटिश युद्धपोत था INS विराट, रॉयल नेवी में था शामिल
भारत के इस महान भीमकाय युद्धपोत के बारे में एक बात शायद ज्यादा लोगों को न पता हो कि आईएनएस विराट मूलतः ब्रिटिश युद्धपोत है। इसे 1959 में रॉयल नेवी में शामिल किया गया था। जिसके बाद भारत ने इसे साल 1986 में खरीदा था। तबसे लेकर साल 2017 तक आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएं प्रदान कीं। बाद में मार्च 2017 में 30 साल तक सेवाएं देने के बाद इसे डिकमिशंड (सेवानिवृत्त) कर दिया गया था।
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यह इकलौता लड़ाकू विमान वाहक पोत है, जिसने ब्रिटेन और भारत की नौसेना में सेवाएं दी हैं। भारत से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस र्हिमस के रूप में 25 साल अपनी सेवाएं दे चुका था। ब्रिटेन की रॉयल नेवी का हिस्सा रहने के दौरान प्रिंस चार्ल्स ने इसी पोत पर नौसेना अधिकारी की अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी। फॉकलैंड युद्ध में ब्रिटिश नेवी की तरफ से इस पोत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक शहर के समान था INS विराट
भारत के लिए आईएनएस विराट ने कई बार महत्वपूर्ण और यादगार भूमिकाएं निभाईं। ब्रिटेन की रॉयल नेवी के साथ इसने फॉकलैंड युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जुलाई 1989 में श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन ज्यूपिटर में हिस्सा लिया। 2001 के संसद हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी अहम भूमिका निभाई थी। आईएनएस विराट को मामूली जहाज नहीं था। बल्कि काफी विशालकाए था।
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आईएनएस विराट की लंबाई 226 मीटर और चौड़ाई 49 मीटर है। ये जहाज अपने आप में एक छोटे शहर की तरह था। इस जहाज में एक पुस्तकालय, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाओं उपलब्ध थीं। इस जहाज का वजन 28,700 टन था। इस पर 150 अफसर और 1500 नाविकों की तैनाती की जा सकती थी।