New Telecom Bill: सरकार को नेटवर्क बन्द करने, अधिग्रहण करने की शक्ति

New Telecom Bill: औपनिवेशिक राज का कानून अभी भी लागू है और भारत में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-12-19 10:52 IST

New Telecom Bill 2023  (photo: social media )

New Telecom Bill: सरकार ने लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 पेश किया है। नये दूरसंचार विधेयक को इस साल की शुरुआत में अगस्त में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी थी। ये विधेयक पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह लेगा।

138 साल पुराना कानून

अभी जो दूरसंचार कानून है वह 138 साल पुराना है। औपनिवेशिक राज का कानून अभी भी लागू है और भारत में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करता है। नया मसौदा विधेयक केंद्र को दूरसंचार क्षेत्र को विनियमित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां देता है।

टेलीकॉम विधेयक

विधेयक के मुख्य पहलू में कहा गया है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए टेलीकॉम सेवाओं को निलंबित कर सकती है। विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि केंद्र राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की सुरक्षा से जुड़ी किसी भी स्थिति के मद्देनजर दूरसंचार नेटवर्क का अधिग्रहण कर सकता है।

अस्थाई अधिग्रहण की शक्ति

मसौदा कानून में कहा गया है - आपदा प्रबंधन सहित या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की घटना पर, केंद्र सरकार या राज्य सरकार या सरकार द्वारा इस संबंध में विशेष रूप से अधिकृत कोई अधिकारी, यदि संतुष्ट हैं कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, तो अधिसूचना द्वारा- किसी अधिकृत इकाई से किसी भी दूरसंचार सेवा या दूरसंचार नेटवर्क का अस्थायी कब्ज़ा ले सकते हैं।

जुर्माने का प्रावधान

संदेशों को अवैध रूप से इंटरसेप्ट करने पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। दूरसंचार विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि संदेशों का कोई भी अवैध अवरोधन दंडनीय अपराध होगा। संदेशों को गैरकानूनी तरीके से इंटरसेप्ट करने का दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल, 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या जुर्माना और जेल की सजा दोनों का प्रावधान है।

- विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को प्रवेश शुल्क माफी, लाइसेंस शुल्क, जुर्माना आदि जैसे कदम उठाने की शक्ति दी जाएगी।

- ड्राफ्ट में ओटीटी ऐप्स को दूरसंचार की परिभाषा से हटाने की बात कही गई है।

- विधेयक के कुछ प्रावधानों के कार्यान्वयन का प्रभाव ये भी होगा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की कुछ शक्तियों पर प्रतिबंध लग जाएगा।

- दूरसंचार विधेयक में किसी कंपनी द्वारा अपना परमिट सरेंडर करने की स्थिति में लाइसेंस शुल्क रिफंड, पंजीकरण शुल्क रिफंड और अधिक से संबंधित कुछ नियमों को आसान बनाने के प्रावधान भी हैं।

कुछ चिंताएं भी हैं

कानून के आलोचकों ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक के परिणामस्वरूप ट्राई केवल रबर स्टांप बनकर रह जाएगा, क्योंकि यह विधेयक नियामक की शक्तियों को काफी हद तक कमजोर कर देता है।

मसौदे में ट्राई अध्यक्ष की भूमिका के लिए निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने का भी प्रावधान है। मसौदे में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास कम से कम तीस साल का पेशेवर अनुभव है और उसने निदेशक मंडल के सदस्य या कुछ क्षेत्रों में किसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य किया है तो उसे ट्राई अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

दूसरा मुद्दा स्पेक्ट्रम आवंटन का है। इस साल जून में ट्राई की परामर्श प्रक्रिया के दौरान एलन मस्क के स्टारलिंक, अमेज़ॅन के प्रोजेक्ट कुइपर और टाटा समूह ने नीलामी के माध्यम से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन का विरोध किया था। जबकि भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी का समर्थन किया।

Tags:    

Similar News