सरकार ने लोकसभा में पेश किया तीन तलाक बिल, हंगामे के कारण सदन स्थगित

Update:2018-12-17 09:41 IST

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया। वहीं अलग-अलग मुद्दों को लेकर विपक्ष के हंगामे के बाद लोकसभा को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया है।

बता दें कि इससे पहले सरकार संसद में तीन तलाक बिल को पास कराने में नाकाम हो गई थी। इसके बाद इस साल सितंबर में मोदी सरकार ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश लेकर आई थी।

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संसद में मंजूरी के लिए तीन तलाक बिल पेश करेगी सरकार

अब एक बार फिर सरकार राजनीतिक रूप से खासे विवादित इस विधेयक को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया जा चुका है। विवाहित मुस्लिम महिलाओं को एक साथ तीन तलाक के खिलाफ संरक्षण देने के लिए इस बिल को लाया गया है। नियम के मुताबिक किसी भी अध्यादेश को 6 महीने के अंदर पास करवाना होता है। यानी सरकार को इसी शीतकालीन सत्र में इस बिल को पास कराना होगा।

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संसद में कानून अदालत में चुनौती देंगे: एआईएमपीएलब

इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को कहा कि तीन तलाक पर संसद में कानून बनाए जाने पर वह इसे अदालत में चुनौती देगा। बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की लखनऊ में हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य कासिम रसूल इलियास में बताया कि केंद्र सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश लाई है। इसकी मियाद छह महीने होगी। अगर यह गुजर गई तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर इसे कानून की शक्ल दी गई, तो बोर्ड इसको अदालत में चुनौती देगा। एआईएमपीएलबी शुरू से ही इस बिल का विरोध कर रहा है।

पिछली बार राज्यसभा में हुआ था कड़ा विरोध

बता दें कि पिछली बार तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध जताया था। विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए। प्रस्तावित कानून पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों से राय भी मांगी थी। ज्यादातर राज्य सरकारों ने इसका समर्थन किया था।

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इस बिल के तहत तुरंत तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध की श्रेणी में रखा गया. अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।

इस बिल में मुस्लिम महिला को भत्ते और बच्चों की परवरिश के लिए खर्च को लेकर भी प्रावधान है। इसके तहत मौखिक, टेलिफोनिक या लिखित किसी भी रूप में एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया गया है।

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