One nation One Election: क्या है 'एक देश एक चुनाव' बिल, जिसे संसद में पेश करने जा रही मोदी सरकार
One nation One Election: मोदी सरकार इस साल के अंत तक संसद में 'एक देश एक चुनाव' बिल को पेश कर सकती है। जानिये इसके बारे में।
One nation One Election: एक देश एक चुनाव बिल इसी साल संसद में पेश किया जा सकता है। मोदी सरकार इसी सत्र में इस बिल को सदन में पेश कर सकती है। बात दे कि वन नेशन वन इलेक्शन बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। रामनाथ कोविंद समिति ने अप्रैल- मई में हुए लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में ही सरकार के सामने अपनी सिफारिश सौंपी थी। जिसके बाद कई बार बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा ऐसा बयान देते हुए सुना गया है कि देश में जल्द ही एक देश एक चुनाव बिल लागू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी भी कई लोगों को नहीं पता कि आखिर यह बिल क्या है और इसके लागू होने से देश में क्या बदलाव होगा। जानिए इस लेख में 'One nation One Election' की पूरी जानकरी।
"एक राष्ट्र, एक चुनाव" क्या है
एक देश एक चुनाव केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित किया हुआ एक विधेयक है। जो लोकसभा चुनाव और राज्यों में होने वाली विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश करता है। इसको लागू करने का जो कारण बताया जाता है उसके मुताबिक देश में बार-बार होने वाले चुनावों के कारण संसाधनों की बर्बादी और प्रशासनिक अड़चनों को खत्म करना है। बात दें कि यह बिल एक जटिल प्रशासनिक सुधार है। जिसका असर देश की राजनीति और लोकतंत्र पर काफी गहरे तरीके से पड़ेगा। जानकरी के लिए बता दें कि आजादी के कुछ सालों तक देश में लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव एक साथ ही होते थे। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे हर राज्य में उनके राजनीतिक कारणों से चुनाव का समय अलग- अलग होने लगा था। लेकिन अब एक बार फिर वर्तमान सरकार इस बिल को लागू करने जा रही है।
बिल लागू होने के बाद क्या आएंगे बदलाव
अगर बिल देश में लागू हो जाता है तो उससे कई बदलाव देखने को मिलेंगे। जैसे कि बार बार देश में चुनाव होने से काफी ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। चुनाव आयोग को बार-बार मशीनों, कर्मचारियों और अन्य संसाधनों पर खर्च करना पड़ता है। लेकिन आर बिल लागू हो जाता है तो पैसे में बचत होगी। इसके अलावा देखा गया है कि चुनावों के दौरान पूरे प्रशासनिक तंत्र, जैसे पुलिस बल और सरकारी अधिकारी, को चुनाव कार्य में लगा दिया जाता है। इससे शासन व्यवस्था प्रभावित होती है। लेकिन बिल के लागू हो जाने के बाद एक बार में चुनाव कराने से प्रशासनिक मशीनरी को सामान्य कार्यों पर ध्यान देने में आसानी होगी। इन सब के अलावा देश में बार-बार चुनाव होने से जनता भी चुनाव प्रचार, रैलियों और उम्मीदवारों के वादों से थक जाती है। वहीं दूसरी तरफ एक साथ चुनाव कराने से नागरिकों पर यह बोझ कम होगा।
क्या आएगी दिक्कतें
एक देश एक चुनाव बिल लागू करने से कई दिक्कतों का भी सामना करना पड़ेगा। जैसे कि हम देखते है कि भारत का संविधान राज्य और केंद्र को अलग-अलग अधिकार देता है। ऐसे में बिल लागू होने के बाद अगर किसी राज्य की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती, तो एक साथ चुनाव कराने के लिए संवैधानिक संशोधन करना होगा। जिससे उस राज्य में लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। वहीं अगर बिल के लागू करने को लेकर और आने वाली दिक्कतों की बात की जाए तो इतने बड़े पैमाने पर चुनाव एक साथ कराना एक बड़ा प्रशासनिक कार्य है। यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण होगा कि सभी स्थानों पर सही ढंग से मतदान हो और कोई अनियमितता न हो।
अगर भारत में एक देश एक चुनाव लागू बिल हो जाता है तो ऐसे में क्षेत्रीय दलों का मानना है कि राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ होने से उनकी पहचान और मुद्दे कमजोर हो सकते हैं। इससे राष्ट्रीय दलों को अधिक लाभ होगा। और साथ ही जनता की दिक्कतों का समाधान भी नहीं निकल पायेगा।