Pilot vs Amit Malviya: राजेश पायलट पर अमित मालवीय की टिप्पणी से गुर्जरों में नाराजगी, राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं

Rajasthan Politics: अमित मालवीय की इस टिप्पणी से राजस्थान में पायलट समर्थकों और गुर्जरों में भारी नाराजगी दिख रही है। उन्होंने अमित मालवीय के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गलत टिप्पणी के लिए उनसे माफी मांगने को कहा है।

Update: 2023-08-16 05:32 GMT
Amit Malviya (photo: social media )

Rajasthan Politics: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की ओर से सचिन पायलट के पिता और पूर्व दिग्गज नेता राजेश पायलट पर की गई टिप्पणी को लेकर सियासी विवाद गहरा गया है। अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में कहा था कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी वायुसेवा के उन विमान को उड़ा रहे थे जिन्होंने 5 मार्च 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल में बमबारी की थी। अमित मालवीय के इस दावे के बाद राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अमित मालवीय पर पलटवार करते हुए अपने पिता को लेकर किए गए दावे को पूरी तरह झूठा करार दिया है।

अमित मालवीय की इस टिप्पणी से राजस्थान में पायलट समर्थकों और गुर्जरों में भारी नाराजगी दिख रही है। उन्होंने अमित मालवीय के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गलत टिप्पणी के लिए उनसे माफी मांगने को कहा है। मालवीय की पोस्ट पर पायलट समर्थकों ने तल्ख कमेंट करते हुए सवाल उठाए हैं। राजस्थान के 12 जिलों में गुर्जरों की अच्छी खासी संख्या है और विधानसभा चुनाव से पहले गुर्जरों की इस नाराजगी से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

मालवीय की इस टिप्पणी पर पैदा हुआ विवाद

यह सारा विवाद बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की एक टिप्पणी से शुरू हुआ। मालवीय ने एक न्यूज चैनल के वीडियो को सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफार्म पर शेयर करते हुए दावा किया कि जब राजेश पायलट भारतीय वायुसेना में थे तो उन्होंने 1966 में मिजोरम पर बम गिराए थे। मालवीय ने अपनी इस पोस्ट में लिखा कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के विमान उड़ा रहे थे।

उन्होंने 5 मार्च, 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल पर बम गिराए थे। बाद में वे दोनों कांग्रेस सांसद और मंत्री बन गए। इंदिरा गांधी ने राजनीतिक अवसरों के माध्यम से उत्तर पूर्व में साथी नागरिकों पर हवाई हमले करने वालों को सम्मानित किया।

सचिन पायलट ने दावे को किया खारिज

अमित मालवीय की ओर से किए गए इस दावे के बाद सचिन पायलट ने पलटवार करते हुए तीखी प्रतिक्रिया जताई। मालवीय के दावे को खारिज करते हुए सचिन पायलट ने लिखा कि आपके पास गलत तारीखें और गलत तथ्य हैं। वायुसेना के पायलट के तौर पर मेरे पिता ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान पर बमबारी की थी। 1966 में मिजोरम में नहीं। स्वर्गीय राजेश पायलट 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायुसेना में कमीशन हुए थे।

यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 को मिजोरम में बमबारी की थी पूरी तरह काल्पनिक, तथ्यहीन और भ्रामक है। प्रमाणपत्र देख लीजिए। सचिन ने लिखा कि 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मेरे पिता ने मिजोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थायी शांति स्थापित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी।

पीएम मोदी ने भी किया था हमले का जिक्र

इस मामले में एक बात और उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए 1966 में मिजोरम में भारतीय वायुसेना की ओर से की गई बमबारी का जिक्र किया था। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने मिजोरम के ऊपर भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने सवाल किया था कि क्या मिजोरम के लोग हमारे देश के नागरिक नहीं थे?

प्रधानमंत्री का कहना था कि आज भी मिजोरम हर साल 5 मार्च को मातम मनाता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने जवाब देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बचाव किया था। उनका कहना था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मिजोरम को बचाने के लिए यह कदम उठाया था।

मालवीय की टिप्पणी से गुर्जरों में नाराजगी

अमित मालवीय की ओर से की गई टिप्पणी के बाद राजस्थान में पायलट के समर्थकों और गुर्जर समुदाय में नाराजगी दिख रही है। पायलट के समर्थकों की ओर से झूठी टिप्पणी के लिए अमित मालवीय से माफी मांगने को कहा जा रहा है। गुर्जर समुदाय की नाराजगी भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित हो सकती है।

2018 के विधानसभा चुनाव में भी गुर्जर समाज ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर वोटिंग की थी। हालांकि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बनाए जाने के कारण गुर्जर समाज में कांग्रेस के प्रति नाराजगी दिखती रही है और भाजपा इसी को भुनाने में जुटी हुई है। अब गुर्जर समुदाय भाजपा नेता की टिप्पणी से नाराज दिख रहा है।

भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं

राजस्थान के 12 जिलों में गुर्जर समाज का प्रभाव देखने को मिलता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुर्जर समाज के 12 नेताओं को प्रत्याशी बनाया था और इनमें से सात चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। दूसरी ओर भाजपा ने गुर्जर समुदाय के नौ लोगों को टिकट दिया था मगर इनमें से कोई भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सका। बसपा ने गुर्जर समाज से जुड़े जोगिंदर सिंह अवाना को चुनाव मैदान में उतारा था और वे चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। बाद में बसपा के सभी विधायकों के कांग्रेस में शामिल हो जाने के कारण कांग्रेस में गुर्जर समाज के आठ विधायक हो गए थे।

भाजपा इस बार गुर्जर समाज को साधने की कोशिश में जुटी हुई है मगर अमित मालवीय की टिप्पणी ने एक बार फिर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि अगर पार्टी नेतृत्व इस प्रकरण को मैनेज करने में कामयाब नहीं हुआ तो पार्टी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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