दुनिया में सबसे पहले पतंग किसने उड़ाई थी और भारत में कैसी हुई शुरुआत ,यहां जानें
तेलंगाना में अंतरराष्ट्रीय पतंग दिवस का भव्य आयोजन किया जाता है। 13 से 15 जनवरी तक आयोजित इस पतंग महोत्सव में 40 से अधिक देशों के लोग हिस्सा लेते हैं।
लखनऊ: मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भारत में पतंग उड़ाने का रिवाज है। कहीं-कहीं सामूहिक पतंग उत्सव आयोजित किए जाते हैं तो कहीं लोग अपने घरों की छतों पर ही पतंग उड़ाना पसंद करते हैं।
आसमान रंग-बिरंगी खूबसूरत पतंगों से भर जाता है। भारत में प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार पतंग आई कहां से, किसने इसे सबसे पहले उड़ाया, इन त्योहारों को कैसे मनाया जाता है? तो आइये जानते हैं इन तमाम सवाल के जवाब।
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सबसे पहले किसने उड़ाई थी पतंग, कैसे हुई शुरुआत
वैसे तो पतंगों की उत्पत्ति या इतिहास के बारे में कोई लिखित वृत्तांत नहीं है। ऐसा किंवदंती है कि पतंग उड़ाने के सबसे पहले लिखे गए लेख चीनी जनरल हान हसिन, हान राजवंश के कारनामे से थे।
लेकिन पतंग के आविष्कार को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पतंग का आविष्कार चीन में किया गया था और शानडोंग जो कि पूर्वी चीन का प्रांत था, को पतंग का घर कहा जाता है।
एक पौराणिक कथा से पता चलता है कि एक चीनी किसान अपनी टोपी को हवा में उड़ने से बचाने के लिए उसे एक रस्सी से बांध कर रखता था और इसी अवधारणा से पहले पतंग की शुरूआत हुई थी।
पहले पतंग बनाने में रेशम के कपड़े का होता था इस्तेमाल
एक और मान्यता के अनुसार 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में चीन दार्शनिक मोझी और लू बान (गोंगशु बान) ने पतंग का आविष्कार किया था, तब बांस या फिर रेशम के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था पतंगों को बनाने के लिए।
ऐसा कहा जाता है कि 549 AD से कागज़ की पतंगों को उड़ाया जाने लगा था क्योंकि उस समय कागज़ से बनी पतंग को बचाव अभियान के लिए एक संदेश भेजने के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
प्राचीन और मध्ययुगीन चीनी स्रोतों में वर्णित है कि पतंगों को मापने, हवा का परीक्षण, सिग्नल भेजने और सैन्य अभियानों के संचार के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
सबसे पहली चीनी पतंग फ्लैट यानी चपटी और आयातकार हुआ करती थी। फिर बाद में पतंगों को पौराणिक रूपों और पौराणिक आंकड़ों से सजाया जाने लगा था और कुछ में स्ट्रिंग्स और सिटी को भी फिट किया जाता था ताकि उड़ते वक्त संगीत सुनाई दे।
भारत में पतंग उड़ाने की शुरुआत कब और कैसे हुई
ज्यादातर लोगों का मानना है कि चीनी यात्रि Fa Hien और Hiuen Tsang पतंग को भारत में लाए थे। यह टिशू पेपर और बांस के ढाचे से बनी होती थी। लगभग सभी पतंगों का आकार एक जैसा ही होता है।
पतंग उड़ाने का खेल भारत में काफी लोकप्रिय है। हमारे देश के विभिन्न भागों में कुछ विशेष त्यौहार एवं वर्ष के कुछ महीने पतंगबाजी या पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता से संबंधित हैं।
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यहां जानें भारत के 5 प्रसिद्ध पतंगोत्सव के बारें में
गुजरात
गुजरात का पतंगोत्सव विश्व प्रसिद्ध है। मकर संक्रांति को यहां बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग छतों पर तरह-तरह के आकार की पतंगें उड़ाते हैं।
7 से 15 जनवरी तक यहां हर साल अंतरराष्ट्रीय काइट फेस्टिवल का आयोजन होता है। इसे देखने के लिए जापान मलेशिया सिंगापुर रूस आदि जगहों से पर्यटक भी आते हैं।
जयपुर
जयपुर में पतंगोत्सव को बड़े जश्न के रूप में मनाया जाता है। यह महोत्सव मकर संक्रांति से शुरू होता है, जो आगामी तीन दिन तक चलता है।
इस दिन जयपुर के पोलोग्राउंड में लोग जमा हो जाते हैं और फिर यहां दुनियाभर के सबसे अच्छे पतंगबाज बड़ी-बड़ी पतंगों को ऊंचा-ऊंचा उड़ाकर आपना कौशल प्रदर्शन करते हैं। आसमान में उड़ती पतंगों का यह दृश्य वाकई बहुत शानदार होता है।
तेलंगाना
तेलंगाना में अंतरराष्ट्रीय पतंग दिवस का भव्य आयोजन किया जाता है। 13 से 15 जनवरी तक आयोजित इस पतंग महोत्सव में 40 से अधिक देशों के लोग हिस्सा लेते हैं।
साथ ही यहां पर खाने-पीने के स्टॉल और प्रदर्शनियां भी लगती हैं। यहां इस आयोजन में एक से बढ़कर एक आकृति की पतंग से आसमान अद्भुत दिखने लगता है।
पंजाब
पंजाब का काइट फेस्टिवल बेहद लोकप्रिय है। पंजाब का काइट फेस्टिवल बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है और इस दिन सभी लोग खेत में एक से बढ़कर एक रंगीन पतंग उड़ाते हैं।
इस दौरान लोग पेंच भी लड़ाते हैं और फिर जो जीतता है, उसे पुरस्कार दिया जाता है। काइट फेस्टिवल किसी रोचक खेल से कम नहीं होता है। इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
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