AIIMS में हुआ डॉक्टर के साथ भेदभाव, स्वस्थ्य मंत्री से की कार्यवाही की मांग

जाती लिंग के आधार पर दिल्ली के एम्स में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर को कथित रूप से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। अब मामले की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री से की गई

Update:2020-04-20 17:53 IST

नई दिल्ली: एक ओर पूरा देश इस समय कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। ऐसे में पीएम मोदी देश के सभी लोगों से इस संकट की घड़ी में एक साथ आ कर इस जानलेवा वायरस से मुकाबला करने की अपील की है। इस मुश्किल समय में हमारे देश के डॉक्टर्स को पीएम ने कोरोना वारियर्स का तमगा दिया है। ऐसे में देश के सभी डॉक्टर एक साथ मिल कर इस वायरस के लिए बराबर से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में राजधानी दिल्ली के एम्स से एक बहुत ही निंदनीय मामला सामने आ रहा है। जहां एम्स के डॉक्टर्स से भेदभाव का मामला सामने आया है।

महिला डॉक्टर से उत्पीड़न का मामला आया सामने

जिस समय पूरे देश में डॉक्टर्स को कोरोना वारियर्स के रूप में माना जा रहा है। ऐसे में दिल्ली के एम्स में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के जाति और लिंग के आधार भेदभाव का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार जाती लिंग के आधार पर दिल्ली के एम्स में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर को कथित रूप उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। जिसके बाद दिल्ली के अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

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महिला डॉक्टर के एक सहयोगी के अनुसार महिला डॉक्टर ने शुक्रवार को आत्महत्या करने का प्रयास किया था। इस पर दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने मामले पर नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न के मामलों का लगातार बढ़ना जारी है। न कांग्रेस के राज में कुछ बदला, न भाजपा सरकार में। दोनों में कोई अंतर नहीं है। आखिर इन मामलों को क्यों गंभीरता से नहीं लिया जाता?

मंत्री ने लगाया कार्यवाही न होने का आरोप

अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री ने उत्पीड़न की खबर को टैग कर प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मामले में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। इसके अलावा एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से पत्र लिख कर इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही न होने का आरोप लगाया।

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एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से मामले को जाति और लिंग के आधार पर किए गए भेदभाव का गंभीर मामला बताते हुए कहा गया कि रेजिडेंट डॉक्टर ने एम्स प्रशासन से बार-बार अपील की, लेकिन उन लोगों की निष्क्रियता ने डॉक्टर को 'कठोर कदम उठाने' के लिए बाध्य कर दिया। एसोसिएशन की और से पत्र में कहा गया कि महिला डॉक्टर ने महिला शिकायत प्रकोष्ठ, एम्स के एससी / एसटी कल्याण प्रकोष्ठ और अनुसूचित जाति एवं जनजाति राष्ट्रीय आयोगों को भी इस मामले में पत्र लिखा, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई।

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