हाथरस कांड का असर: चुनावों पर पड़ेगा प्रभाव, कांग्रेस के लिए बना संजीवनी

सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के इस मामले की गूंज अन्य राज्यों तक भी पहुंच गई है और यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही मध्य प्रदेश के उपचुनावों पर भी असर डालेगा।

Update: 2020-10-04 03:22 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पूरे देश में गुस्से का कारण बने हाथरस कांड में आक्रामक रुख अपनाकर कांग्रेस ने अन्य सियासी दलों पर बढ़त हासिल कर ली है। एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसकी हत्या के मामले को लेकर जिस तरह राहुल और प्रियंका खुद सड़कों पर उतरे, उससे कांग्रेस को नई ताकत मिली है।

सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के इस मामले की गूंज अन्य राज्यों तक भी पहुंच गई है और यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही मध्य प्रदेश के उपचुनावों पर भी असर डालेगा। कांग्रेस इस मामले में भाजपा को कटघरे में खड़ा करने के साथ ही सपा-बसपा पर भी बढ़त हासिल करने में कामयाब रही है।

कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया

एक दलित युवती के साथ हुई इस घटना को लेकर कांग्रेस ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस भाजपा को दलित विरोधी के तौर पर पेश करने में जुट गई है। दलित समाज में इस घटना को लेकर जबर्दस्त नाराजगी है और कांग्रेस इस मुद्दे को जोरशोर से उठाकर अपने परंपरागत वोट बैंक को फिर वापस पाने की कोशिश में जुटी है। यही कारण है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर संघर्ष में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती।

राहुल और प्रियंका खुद सड़कों पर उतरे

शुक्रवार को इस मामले को लेकर राहुल और प्रियंका खुद सड़कों पर उतर आए और दोनों नेताओं को हाथरस जाने से रोकने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस से गुत्थमगुत्था के दौरान राहुल गांधी नीचे गिर पड़े और बाद में दोनों नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

राहुल और प्रियंका शुक्रवार को दिनभर हाथरस जाने की कोशिश करते रहे मगर पुलिस की तगड़ी चौकसी के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका मगर वे यह संदेश देने में जरूर कामयाब रहे कि दलित बिटिया को न्याय दिलाने में कांग्रेस पीछे नहीं रहेगी।

सरकार को देनी पड़ी मुलाकात की इजाजत

दूसरे दिन शनिवार को फिर एक बार राहुल और प्रियंका हाथरस मामले को लेकर निकल पड़े और आखिरकार प्रदेश सरकार को दोनों को हाथरस जाने की इजाजत देनी पड़ी। राहुल और प्रियंका ने हाथरस पीड़िता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।

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हालांकि राहुल और प्रियंका करीब 35 सांसदों के साथ हाथरस जाने के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस की ओर से उनके साथ पांच लोगों को ही जाने की अनुमति दी गई। राहुल और प्रियंका ने बंद कमरे में पीड़िता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।

बिहार में चुनाव के बीच हाथरस कांड

हाथरस कांड ऐसे समय में हुआ है जब बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और मध्य प्रदेश में भी उपचुनावों को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। बिहार विधानसभा की 38 आरक्षित सीटें सरकार के गठन में बड़ी भूमिका निभाती हैं।

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2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था और इन चुनावों में राजद 14, जदयू 10 और कांग्रेस 5 आरक्षित सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। भाजपा को भी 5 सीटों पर कामयाबी मिली थी मगर इस बार बिहार में सियासी तस्वीर बदली हुई है।

बिहार में कांग्रेस की झटका देने की तैयारी

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू एक साथ हैं जबकि कांग्रेस राजद के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी है। दलित वोटों पर अपना हक जताने वाली बसपा रालोसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है।

कांग्रेस हाथरस कांड को जोरशोर से उठाकर भाजपा और जदयू के साथ बसपा को भी झटका देने की कोशिश में जुट गई है। इस मामले में भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है जबकि बसपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस से काफी पिछड़ गई है।

मध्यप्रदेश में भी असर डालेगा हाथरस कांड

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं और शिवराज सरकार के अस्तित्व को लेकर इन सीटों के नतीजे काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इन 28 सीटों में से 11 सीटें आरक्षित हैं। 2018 में हुए चुनाव के दौरान इनमें से कई आरक्षित सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी।

मध्य प्रदेश के उपचुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद पार्टी इन उपचुनावों के जरिए बदला लेना चाहती है। कांग्रेस दलित मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटी हुई है।

सपा बसपा दोनों दल रह गए पीछे

यदि उत्तर प्रदेश की सियासत को देखा जाए तो हाथरस कांड को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को कटघरे में खड़ा करने के साथ ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी पर काफी बढ़त हासिल कर ली है। बसपा नेता मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने लखनऊ से हाथरस जाने की जरूरत नहीं समझी मगर हाथरस की बिटिया को न्याय दिलाने के लिए राहुल और प्रियंका दिल्ली से निकल पड़े।

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सभी सियासी दलों पर कांग्रेस दिखी भारी

सियासी जानकारों के मुताबिक इस मामले में कांग्रेस सपा और बसपा दोनों पर बीस पड़ती दिख रही है। इसके साथ ही भाजपा को भी कटघरे में खड़ा करने में पार्टी ने कामयाबी हासिल की है। अब देखने वाली बात यह होगी कि बिहार और मध्य प्रदेश में होने वाले चुनावों में पार्टी किस हद तक इसे अपने पक्ष में भुना पाती है।

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