अस्पताल बने कब्रगाह: इस शहर में सबसे ज्यादा मृत्यु दर, हैरान करने वाले आंकड़े
अहमदाबाद की मृत्यु दर पूरे देश की मृत्यु दर से कहीं ज्यादा है। यहां की मृत्यु दर भारत में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र से दोगुनी है।
पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। आए दिन देश में कोरोना संक्रमितों के मामलों में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। ऐसे में गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में कोरोना संक्रमण के दौर में मृत्यु दर में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। अहमदाबाद में तेजी से बढ़ रही मृत्यु दर के चलते अब वहाँ के प्रशासन और व्यस्थाओं पर सवाल उठना लाजिमी है। क्योंकि अहमदाबाद में मृत्यु दर राष्ट्रीय मृत्यु दर से काफी ज्यादा है।
अहमदाबाद में मृत्यु दर 6.63%
अहमदाबाद इस लिए सबकी नजरो में है क्योंकि यहां की मृत्यु दर पूरे देश की मृत्यु दर से कहीं ज्यादा है। इतना ही अहमदाबाद में मृत्यु दर भारत में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र से दोगुनी है। ऐसे में अहमदाबाद की व्यवस्था और वहां के प्रशासन पर सवाल तो उठाया ही जाएगा। पूरे देश में कोरोना वायरस से जुड़ी मृत्यु दर अब तक 2.98% रही है। वहीं देश की राजधानी में तो ये ये दर महज 1/68 % ही रही है। अब अगर बात करें देश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य महाराष्ट्र की तो यहां की मृत्यु दर भी 3.34% ही रही है। वहीं गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में मृत्यु दर 6.63% दर्ज की गई है। ये आंकड़े वाकई में हैरान करने वाले हैं। इस मृत्यु दर नतीजा ये है कि शहर के कोविड-19 अस्पतालों को अब कब्रगाह कहा जा रहा है।
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अहमदाबाद के नागरिक अस्पताल के 1200 बिस्तरों को कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया। लेकिन 25 मार्च से 18 मई तक के आंकड़ों के आधार पर ओआरएफ की रिपोर्ट में लिखा गया है कि अस्पताल में 343 मरीज़ों की मौत हो चुकी है। जबकि 338 मरीज़ डिस्चार्ज किए गए। इन आंकड़ों के चलते, इस अस्पताल के इंतज़ामों पर सवालिया निशान लगे हैं। शहर में जरूरी सेवाओं में लगे कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद ओआरएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि अहमदाबाद में मूलभूत नियंत्रण नीतियां लागू करने में प्रशासन नाकाम रहा। इसके अलावा, समय से कदम न उठाने के कारण प्रशासन के रवैये ने और मुश्किलें खड़ी कीं।
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का नतीजा
स्थानीय प्रशासन की ओर से कई अव्यवस्थाएं रहीं जिनका नतीजा अब ये सामने आ रहा है। ऐसे में अब हर कोई प्रशासन की ओर सवालिया निगाहों से देख रहा है। प्रशासन की लापरवाही का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि नागरिक अस्पताल में 25 मरीज़ों को इलाज से इनकार कर मरीज़़ों को इंतज़ार करवाया गया। इसके अलावा सिविल अस्पताल के साथ ही एसवीपी में एक हेड कॉंस्टेबल को भी बिस्तर न होने और दाखिल किए जाने की तैयारी न होने जैसे कारणों से अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया। दूसरी ओर, 900 वेंटिलेटरों की खरीदी भी सवालों के घेरे में है।
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अब इन परिस्थितियों से निपटने के लिए अहमदाबाद नगर पालिका ने कोविड 19 अस्पतालों की संख्या बढ़ाई, जो अब 42 हो गई है। लेकिन यह कदम पिछले हफ्ते यानी 16 मई को उठाए गए।यही व्यवस्थाएं समय रहते की गई होतीं तो हालात बेहतर हो सकते थे। स्वास्थ्य कार्यकर्ता सीमा से ज़्यादा काम कर चुके हैं, स्वास्थ्य सुविधाएं चूर हो चुकी हैं और नीतियों की पोल खुल चुकी है। अहमदाबाद में तेज़ी से बढ़ी मृत्यु दर के पीछे के ये कारण सामने आने के बाद यह भी ज़ाहिर हो चुका है कि मरीज़ों की देखभाल में बहुत समझौते हुए। अब जबकि लॉकडाउन उठाया जा रहा है और कई प्रतिबंधों में छूट दी जा रही है। ऐसे में कोविड 19 संक्रमण के दूसरे दौर को लेकर अगर शहर ने पूरी सतर्कता और क्षमता न दिखाई तो नतीजे इससे भी ज़्यादा खराब होने की आशंका होगी।