अस्पताल का हाल बुरा: बेड पर सो रहे कुत्ते, चारो तरफ फैली गंदगी

कोरोना वायरस के इस खौफ में इस अस्पताल की  हालत देखते ही बनती  है।  नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) को कोरोना डेडिकेटेट हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां सिर्फ कोरोना पीड़ित मरीजों का ही इलाज हो रहा है। एक तरफ इस अस्पताल से जहां 100 से ज्यादा मरीज ठीक होकर घर लौट गए हैं व

Update: 2020-05-14 16:54 GMT

पटना : कोरोना वायरस के इस खौफ पूरी दुनिया आतंकित है । इससे देश और विदेश का कोई भी अस्पताल अछूता नहीं है। लेकिन अगर एनएमसीएअस्पताल की हालत देखेंगे तो आंखें फटी रह जाएगी। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) को कोरोना डेडिकेटेट हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां सिर्फ कोरोना पीड़ित मरीजों का ही इलाज हो रहा है। एक तरफ इस अस्पताल से जहां 100 से ज्यादा मरीज ठीक होकर घर लौट गए हैं वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में फैली अव्यवस्था से महामारी फैलने का खतरा और बढ़ गया है।

 

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एनएमसीएच के ऑर्थोपेडिक वॉर्ड में आए दिन कुत्ते घूमते रहते हैं। आवारा पशुओं को अस्पताल के अंदर आने से रोकने वाला कोई नहीं है। कुत्ते अस्पताल में बिस्तर पर बैठे रहते हैं। वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल में नगर निगम की तरफ से कूड़ा फेंकने के लिए रखे गए डस्टबिन में पीपीई किट और मास्क फेंके हुए मिले। कई स्वास्थ्य कर्मी किट को इस्तेमाल करने के बाद पॉलीबैग में डालने की बजाय इसे खुले में फेंक देते हैं। इससे कई लोगों में संक्रमण बढ़ सकता है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन स्वास्थ्य कर्मियों को हिदायत दी है कि मास्क और पीपीई किट उपयोग के बाद इधर-उधर न फेंके और उसे पॉलीबैग में ही डाले।

 

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बता दें कि पीपीई किट उपलब्ध कराने वाली कंपनियां इसके साथ एक पॉलीबैग भी देती है। किट का इस्तेमाल करने के बाद उसे पॉलीबैग में डालना होता है। कंपनी के लोग अस्पताल आते हैं और किट को डिस्पोज करते हैं। इस ओर अग प्रशासन ध्यान नहीं देती तो जल्द ही बड़ी परेशानी तो दावत देंगे।

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