चंडीगढ़: हरियाणा की कुछ ग्रामीण महलिाओं ने ऐसा कमाल कर दिखाया है जिससे इस राज्य में महिलाओं की बदलती स्थिति की तस्वीर सामने आती है। एक अकेली हिम्मती महिला ने हर मुश्किल का डट कर सामना करते हुए न सिर्फ खुद तो एक सफल उद्यमी बनया बल्कि दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ कर उन्हें आगे बढऩे का मौका दिया।
दि बेटर इंडियन के अनुसार, दिल्ली से सटे गुरुग्राम से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम चंदू बुडेरा की पूजा शर्मा को प्राथमिक शिक्षा के बाद आगे पढऩे का मौका नहीं मिला था। पूजा के पिता एक फौजी थे और उनकी मां गांव में खेती करने के साथ-साथ कपड़ों की सिलाई का काम भी किया करती थीं। गांव की दूसरी लड़कियों की तरह ही पूजा भी कम उम्र में ही ब्याह दी गई। 25 बरस की होते-होते, पूजा तीन बच्चों की मां बन चुकी थी। पति की आमदनी कम थी और परिवार की जरूरतें ज्यादा। पूजा ने अपने परिवार की माली हालत को सुधारने के लिए कुछ करने का फैसला किया। उसने शिकोहपुर गांव स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली और सोया नट्स बनाना शुरू किया। पूजा ने फूड प्रोसेसिंग को अगले मुकाम तक ले जाने का संकल्प लिया। पूजा ने गांवों में पैदा होने वाले अनाज से शहरी लोगों की जरूरतों और पसंद के हिसाब से फूड प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत की।
उन्होंने गेहूं, सोयाबीन, बाजरा और रागी से हेल्दी स्नैक्स बनाना शुरू किया। इससे किसानों को भी फायदा होने लगा। पूजा के आस-पास की महिलाएं भी गरीबी की मार झेल रही थीं। उन्होंने भी कमर कस कर मेहनत करने का फैसला किया और पूजा के साथ मिल कर सन् 2013 में अपना पहला स्वयं सहायता समूह बनाया। इसमें 10 महिलाएं मिल कर काम किया करती थीं। धीरे-धीरे पूजा का समूह नए-नए उत्पाद बनाने लगा। फिर इस समूह ने हरियाणा राज्य आजीविका मिशन से जुड़ कर अपने काम को आगे बढ़ाया। इसके जरिए ये महिलाएं गांव में तैयार किए गए अपने सामान को आजीविका मेलों में ले जाकर बेचने लगीं। आज पूजा के साथ इस काम में आस-पास के गांवों की लगभग 150 महिलाएं जुड़ गई हैं।
पूजा की मेहनत और लगन को देखते हुए एक एनजीओ सिटी फाउंडेशन ने इन्हें कुकीज बनाने की फैक्ट्री लगाने में मदद की। फैक्ट्री के लिए महिलाओं के इस समूह को जमीन चाहिए थी। पूरे गांव ने इन महिलाओं का विरोध किया और कहीं भी इनको फैक्टरी लगाने की जगह नहीं दी गई। इन महिलाओं को खूब परेशान किया जाता लेकिन इन महिलाओं ने हार नहीं मानी।
पूजा के गांव में परिवार की एक हवेली थी, जो खंडहर में बदल चुकी थी। इस खंडहरनुमा हवेली को भुतहा माना जाता था और गांव के लोग वहां जाने से डरते थे। पूजा ने उस खंडहर को अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए चुना। पूजा ने उस जगह की साफ सफाई की और कुछ ही दिनों में उस खंडहर को फैक्ट्री लगाने लायक बना दिया। एनजीओ ने गांव की इन कम पढ़ी लिखी महिलाओं को फाइव स्टार होटलों में काम करने वाले शेफ से कुकीज बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई गई। मार्केटिंग के गुर सिखाए। क्वालिटी कंट्रोल, पैकेजिंग, प्रोडक्ट की ब्रांड बिल्डिंग, फाइनेंस तक का काम इन महिलाओं ने खुद संभालना सीखा। इन महिलाओं को अपनी कुकीज बड़े रिटेल स्टोर, बिग बाजार और पांच सितारा होटलों तक सप्लाई करना सीखा। आज पूजा और उनके समूह द्वारा तैयार की गई कुकीज कुछ चुनिन्दा पांच सितारा होटलों में गरमागरम कॉफी के साथ परोसी जाती हैं और लोगों द्वारा खासी पसंद भी की जाती हैं। पहली बार अगस्त सन् 2017 में इन महिलाओं ने अपनी फैक्ट्री में प्रोफेशनल तरीके से जिंग एंड जेस्ट कुकीज का उत्पादन शुरू किया। पूजा शर्मा को तमाम पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।