जेल में बंद अमृतपाल और राशिद ने जीता चुनाव, जानिए कैसे होगा शपथग्रहण?

Oath Ceremony: लोकसभा चुनाव में जेल में बंद दो कैदियों ने जीत दर्ज की है। अब ऐसे में उनके शपथ ग्रहण को लेकर संविधान में क्या कानून बनाए गए हैं। आज हम उसपर चर्चा करेंगे।

Report :  Aniket Gupta
Update:2024-06-06 10:49 IST

Oath Ceremony: देश में लोकसभा चुनाव का महापर्व समाप्त हो गया है। चुनाव के परिणाम भी सामने आ गए हैं। इस बार के परिणाम ने लोगों को खूब चौंकाया है। इस लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर परिणाम ऐसे भी रहे जिन्हें देख कर लोग हैरान रह गए। दरअसल, कश्मीर और पंजाब की एक एक सीटों पर जेल में बंद कट्टरपंथी ने चुनाव में बाजी मारी। दोनों ने जीत दर्ज की है। अब यहां कई लोग यह सोच रहे होंगे कि जेल में रह कर चुनाव तो जीत गए अब इनका शपथ ग्रहण होगा या नहीं। और यदि होगा तो कैसे होगा? तो आज हम यह जानेंगे कि आखिर जेल से चुनाव जीतने के बाद शपथ ग्रहण कैसे होता है। उसके लिए संविधान में क्या कानून बनाए गए हैं।

दो बंदियों ने जीता चुनाव

गौरतलब है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में इंजीनियर शेख अब्दुल राशिद गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में बंद है। इस बार के लोकसभा चुनाव में उसने जेल से ही बारामूला सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी गए। ठीक इसी तरह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद वारिस पंजाब दे के मुखिया और अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह ने भी चुनाव में बाजी मारी है। अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में बंद है। अमृतपाल ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है।

कैसे होगा शपथ ग्रहण?

अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि चुनाव तो ये जीत गए। अब इनका शपथ ग्रहण कैसे होगा? तो इसके लिए संविधान ने अलग नियम तय किये हैं। शपथ ग्रहण के लिए अमृतपाल और राशिद को अदालत जाकर अनुमति मांगनी होगी। कोर्ट की तरफ से अनुमति मिलने के बाद ही वे कड़े सुरक्षा घेरे में शपथ ग्रहण के लिए जा सकते हैं। एक और खास बात है, इन दोनों की शपथ टाली तो जा सकती है, लेकिन रोकी नहीं जा सकती।

कुछ तय शर्तों पर मिलेगी अनुमति

कानून के जानने वाले बताते हैं कि पारंपरिक प्रक्रिया के अनुसार, सबसे पहले स्पीकर की तरफ से उस जेल के अधीक्षक को शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण भेजा जाएगा, जहां किसी सीट से जीता कोई आरोपी बंद है। इन दोनों के मामले में भी ठीक इसी तरह होगा। चूंकि दोनों ही न्यायिक हिरासत में रखे गए हैं, इसलिए जेल अधीक्षक को भी अदालत को सूचित कर अनुमति लेनी होगी। इसके बाद कोर्ट कुछ तय सुरक्षा शर्तों पर उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने की अनुमति देगा।

सुरक्षा घेरे में जाएगें संसद 

जानकारी के अनुसार, अदालत की अनुमति पर जेल से संसद तक दोनों आरोपी सांसदों को कड़ी सुरक्षा में ले जाया जाएगा। इस दौरान उनके लिए संसद के अधिकारियों या अन्य सांसदों के अलावा मोबाइल के इस्तेमाल या किसी और व्यक्ति से मिलने पर प्रतिबंध रहेगा। एसीपी और फिर इंस्पेक्टर की रैंक के अधिकारी इनको एस्कॉर्ट कर संसद तक कड़ी सुरक्षा में पहुंचाएंगे। जेल से इन्हें संसद तक ले जाने वाली पुलिस की टीम केवल संसद के गेट तक जाएंगी। वहां पर आरोपी संसदों को संसद की अपनी सुरक्षा घेरे में ले लिया जाएगा और फिर वे उन्हें आगे सदन में ले जाएंगे। शपथ ग्रहण समारोह हो या संसद का कोई सत्र, जेल से उन्हें आने-जाने के लिए हर बार कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। हर बार पुलिस को उन्हें कड़े सुरक्षा घेरे में संसद ले जाना होगा। वापसी में भी उसी तरह का सुरक्षा घेरा इनके आसपास रहेगा।

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