जब एक ही मंत्रालय पर खर्च हुआ था आधे से अधिक पैसा, जानिए कैसा था आजाद भारत का पहला बजट
Union Budget 2024: आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी। इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज पूर्व पीएम मोरारजी देसाई का बजट पेश करने का रिकॉर्ड तोड़ देंगी। आइए, जानते हैं आखिर कैसा था आजाद देश का पहला आम बजट।
Union Budget 2024: प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट आज यानी 23 जुलाई 2024 को संसद में पेश होगा। आम बजट को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। इस बजट के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्व पीएम मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़ देंगी। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1959 से 1964 के बीच लगातार 5 पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश किया था। जबकि वित्त मंत्री सीतारमण ने इस साल फरवरी में एक अंतरिम समेत लगातार 6 बजट पेश किए हैं और आज यानी मंगलवार को सीतारमण सातवीं बार बजट पेश करेंगी।
आजाद भारत का पहला बजट काफी रोचक था। आजाद भारत का पहला आम बजट 26 नवंबर 1947 को संसद भवन में पेश किया गया था। पहले बजट को देश के पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। यही वजह है कि पूर्व वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी को भारतीय बजट का पितामह कहा जाता है।
जब लियाकत अली खान ने पेश किया था बजट
बता दें, आजादी से पहले हिन्दुस्तान का सबसे पहला बजट 18 फरवरी 1860 को एक अंग्रेज जेम्स विल्सन ने पेश किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1947 में आजादी से पहले भारतीयों की अंतरिम सरकार बनीं थी। उसमें मुस्लिम लीग के लियाकत अली खान को वित्त मंत्री बनाया गया। लियाकत अली को हिन्दुस्तान का पहला बजट पेश करने का मौका मिला था। उन्होंने 2 फरवरी 1946 को 327.88 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। बता दें, लियाकत अली खान के बजट को अधिक पसंद नहीं किया गया क्योंकि उन्होंने कारोबार से होने वाले मुनाफे पर 25 फीसदी टैक्स के साथ ही 5,000 रुपए से अधिक की संपत्ति बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया था। साथ ही कॉर्पोरेशन टैक्स को भी दोगुना कर दिया था।
कितने कर्ज में था भारत?
आजाद देश के पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने 171.15 करोड़ रुपए देश के राजस्व का अनुमान लगाया था। जबकि 197.39 करोड़ रुपए का खर्च आंका गया। इस तरह देश पर 26.24 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा था। हालांकि, पूर्व वित्त मंत्री चेट्टी ने कहा कि वास्तविक आंकड़ा इससे बड़ा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में बंटवारे के बाद अनिश्चितता का मौहाल था। साथ ही पश्चिम बंगाल और पूर्व पंजाब के नए प्रांतों को भी आर्थिक मदद देने की जरूरत पड़ सकती थी। खर्चों को मैनेज करने के लिए पूर्व वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने बाजार से 150 करोड़ रुपए उधार लेने का सुझाव दिया था। 171.15 करोड़ रुपए के कुल राजस्व में से करीब 109 करोड़ रुपए इनकम टैक्स से हासिल हुए थे। डाक एवं तार विभाग से 15.9 करोड़ रुपए जबकि रेलवे विभाग से उस साल कुछ खास मुनाफे की उम्मीद नहीं की गई थी।
रक्षा विभाग को आवंटित किया आधा पैसा
पूर्व वित्त मंत्री आर.के. शनमुखम चेट्टी के केंद्रीय आम बजट मे कुल खर्च 197.4 करोड़ रुपए थे, जिसमें से लगभग आधा रक्षा सेवाओं के लिए तय किये गए थे। जानकारी के अनुसार, देश के विभाजन की वजह से पनपे तनाव के बाद देश की रक्षा सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत थी। इसलिए ऐसा कदम उठाया गया।