नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च संस्थान इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) में पाकिस्तान को छोड़ सार्क देशों के छात्र ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) में पास होकर इंजीनियरिंग की विशेषज्ञता हासिल कर सकते है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अब कई एशियाई और कुछ अफ्रीकी देशों तक जेईई एडवांस का दायरा बढ़ा दिया है। विदेशी छात्र आईआईटी में पढ़ने के लिए अगले सेशन से साल 2017-2018 में भारत पहुंच सकते है।
इन देशों के छात्रों को मिलेगा मौका
-भारत के पड़ोस के 9 देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, नेपाल,मालदीव, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया) के स्टूडेट्स के लिए एडमिशन के दरवाजे खुले है।
-विदेशी छात्रों को आईआईटी में दाखिला दिलवाने के लिए आईआईटी मुंबई समन्वय का काम करेगा।
-विदेशी छात्रों को एडमिशन स्कूलिस्टिक एप्टीट्यूट टेस्ट (सैट) से नहीं, बल्कि जेईई एडवांस का एग्जाम को पास करना पड़ेगा।
एचआरडी की पहल पर अगले सेशन से एडमिशन शुरू
-मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के अधिकारियों के मुताबिक आईआईटी में विदेशी छात्रों को दाखिला देने से भारतीय शिक्षण संस्थान की रैंकिंग में सुधार होगा क्योंकि टॉप रैंकिंग में विदेशी छात्रों की रैंकिंग जुड़ती है।
-आईआईटी में विदेशी छात्रों के दाखिलों के लिए विदेश मंत्रालय विदेशी छात्रों को आईआईटी में दाखिलों के लिए पासपोर्ट से लेकर वीजा आदि की समस्याऔ का समाधान करेगा।
-जल्दी ही आईआईटी के विशेष दल इन देशों की यात्रा कर वहां भारतीय दूतावासों के जरिए संस्थानों से बातचीत करेंगे।
-वहां जेईई एडवांस के एग्जाम आयोजित किए जाएंगे।
-इसके लिए जगह, समय, छात्रों की जरूरतों और सुविधाओं पर बातचीत के लिए संबंधित देशों की सरकारों के साथ ही दूतावास स्तर पर बातचीत होगी ताकि अधिकतर छात्र भारत आकर अपनी पढ़ाई कर सकें।
भारतीय और विदेशी छात्रों में नहीं होगा भेद-भाव
-विदेशी छात्रों की पढ़ाई का खर्चा वो खुद वहन करेंगे, वहां की सरकार चाहे तो उनको वजीफा दे सकती है।
-भारतीय और विदेशी छात्रों को पढ़ाई और अन्य फैसलिटी के लिए समानता सुविधाएं मिलेंगी।