INDIA Alliance Meeting: नीतीश बोले- मेरी किसी पद में कोई दिलचस्पी नहीं, ठुकराया प्रस्ताव, अब खड़गे को मिलेगी जिम्मेदारी

INDIA Alliance Meeting: समाजवादी पार्टी के माफ करने के मूड में होने की उम्मीद नहीं है। राज्य पार्टी प्रमुख कमलनाथ ने राज्य में छह सीटों के लिए केंद्रीय नेतृत्व की प्रतिबद्धता का सम्मान करने से इनकार कर दिया था।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-01-13 14:38 IST

INDIA Alliance Meeting (Photo: Social Media)

INDIA Alliance Meeting: विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायन्स की आज एक वर्चुअल बैठक हुई। संवाद बनाये रखने के उद्देश्य से हुई ये बैठक करीब दो घंटे चली और इसमें सीटों के बंटवारे और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। लेकिन महत्वपूर्ण बात ये रही कि वर्चुअल बैठक में भी ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे शामिल नहीं हुए। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये रही कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अलायन्स का अध्यक्ष नामित किया गया जबकी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयोजक का पद ठुकरा दिया।

कौन कौन हुआ शामिल?

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, लालू यादव और तेजस्वी यादव (आरजेडी), बिहार के सीएम नीतीश कुमार (जेडीयू), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आप), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), सीताराम येचुरी (सीपीआई-एम), डी राजा (सीपीआई), शरद पवार (एनसीपी-शरद पवार) और डीएमके की तरफ से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन शामिल हुए। बैठक में खड्गे को अलायन्स का संयोजक चुना गया।

अब आगे क्या होगा?

इंडिया अलायन्स में अध्यक्ष पद को लेकर काफी खींचतान चल रही थी। नीतीश कुमार को अध्यक्ष बनाये जाने की काफी चर्चा थी और वो इसके काफी उत्सुक भी बताये जाते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और खड़गे को अध्यक्ष चुना गया। बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने आज की बैठक में कहा कि कांग्रेस से किसी को कमान संभालनी चाहिए।

बहरहाल, अभी असली चुनौती सभी दलों के बीच सीट बंटवारे का मुद्दा है। इंडिया अलायन्स का असल मकसद भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का मुकाबला करना और उसे 2024 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में लगातार तीसरी बार जीतने से रोकना है। तमाम दल भले ही एक साथ आये हैं लेकिन सभी की अलग अलग महत्वाकांक्षाएं हैं और कोई दल अपने रसूख वाले राज्य में किसी को जमीन नहीं देना चाहता। मिसाल के तौर पर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में राज्य कांग्रेस द्वारा कोई भी सीट साझा करने से इनकार को देखते हुए समाजवादी पार्टी के माफ करने के मूड में होने की उम्मीद नहीं है। राज्य पार्टी प्रमुख कमलनाथ ने राज्य में छह सीटों के लिए केंद्रीय नेतृत्व की प्रतिबद्धता का सम्मान करने से इनकार कर दिया था।

आप के साथ कांग्रेस की चर्चा भी विवादास्पद साबित हो रही है। जबकि कांग्रेस दिल्ली में 4 और पंजाब में सात सीटें चाहती है, लेकिन आम आदमी पार्टी इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। दिल्ली और पंजाब दोनों में सत्तारूढ़ दल सीटों का बड़ा हिस्सा चाहता है। आप गोवा, हरियाणा और गुजरात में भी चुनाव लड़ना चाहती है, सो वहां का समीकरण भी एक रोड़ा है।

उधर, सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। वह कांग्रेस को बंगाल में 2 सीटें देने पर अड़ी हैं। नीतीश कुमार को गठबंधन में ज्यादा भाव दिए जाने से भी ममता खुश नहीं हैं। ममता आज की बैठक में शामिल नहीं हुईं और इसका तर्क पार्टी ने यह दिया कि उन्हें बैठक की जानकारी काफी देर से मिली और ममता के कार्यक्रम पहले से तय थे। वैसे, ये पहला मौका नहीं है, जब ममता बनर्जी ने बैठक में आने से इनकार किया है। दिसंबर 2023 में भी ममता गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुई थीं। तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने बैठक की जानकारी दो दिन पहले दी। ऐसे में मैं पहले से तय अपने कार्यक्रम रद्द नहीं कर सकतीं। उधर, सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि हमारे पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था सो वह बैठक में शामिल नहीं होंगे और हमने अपने अलायन्स को इसकी सूचना दे दी है। राऊत ने कहा कि उद्धव के बैठक में शामिल नहीं होने के पीछे कोई अन्य कारण नहीं है। कुछ ऐसा ही बहाना समाजवादी पार्टी द्वारा बनाया गया है।

फिलवक्त स्थिति को देखकर लग रहा है कि भाजपा/एनडीए से टक्कर लेने के लिए बने इंडिया अलायन्स के 28 दलों के बीच सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। गठबंधन में शामिल कई पार्टियों के नेता ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे साफ है कि मामला आसान नहीं होने वाला। 

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