भारत-चीन में आर या पार: सीमा पर तनाव गरमाया, बातचीत से नहीं निकल रहा हल

भारत की ओर से चीन को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि भारत चीन की नाजायज शर्तों को मानने के लिए कतई तैयार नहीं है। दोनों देशों के बीच बातचीत बेनतीजा निकली।

Update:2020-09-07 11:55 IST
भारत की ओर से चीन को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि भारत चीन की नाजायज शर्तों को मानने के लिए कतई तैयार नहीं है। दोनों देशों के बीच बातचीत बेनतीजा निकली।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत के कड़े और आक्रामक रवैये के बाद चीन पर पीछे हटने का दबाव बढ़ गया है। भारत की ओर से चीन को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि भारत चीन की नाजायज शर्तों को मानने के लिए कतई तैयार नहीं है और उसे हर हाल में मई से पूर्व की यथास्थिति को बहाल करना होगा। इस बीच दोनों देशों के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर की करीब 4 घंटे तक चली बातचीत में भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना की ओर से अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है और सेना एलएसी के इर्द-गिर्द किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

चीन पर पीछे हटने का बढ़ा दबाव

रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के कड़े रुख के बाद मौजूदा स्थिति में चीन के सामने पीछे हटने वालों के अलावा कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। अपनी चालबाजियों, विस्तारवादी नीतियों और दमनपूर्ण कार्रवाइयों के कारण चीन इस समय पूरी दुनिया के निशाने पर है।

एलएसी पर हालात ज्यादा बिगड़ने पर इसकी जिम्मेदारी भी चीन पर ही आएगी। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। दूसरी ओर दुनिया के कई अन्य देशों ने भी चीन की घेराबंदी कर रखी है।

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चीन जान चुका है वास्तविकता

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ऊपर से भले ही आक्रामकता दिखा रहा हो मगर भीतर से वह भी जान चुका है कि इस समय पूरी दुनिया का माहौल उसके खिलाफ है। ताइवान जैसे छोटे पड़ोसी देश भी अब उसे आंख दिखाने लगे हैं। भारत पर दबाव बनाने की चीन की रणनीति पूरी तरह विफल साबित हुई है। भारत की ओर से सैन्य और कूटनीतिक दोनों ही स्तरों पर चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है।

भारत ने दिया जबर्दस्त झटका

चीन को सबसे जबर्दस्त झटका पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर लगा है जहां भारतीय सेनाओं ने चीनी मंसूबों को विफल करते हुए अहम ठिकानों पर मोर्चा संभाल लिया है। सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि आने वाले समय में चीनी सेना पीछे नहीं हटती है तो सेना की ओर से कब्जे वाले स्थानों को खाली कराने की दिशा में भी कदम उठाया जा सकता है।

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीन के रक्षा मंत्री को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए चीन को अपनी सेनाएं हटानी ही होंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

 

बातचीत का नहीं निकला कोई नतीजा

इस बीच दोनों देशों के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। चुशूल के पास दोनों देशों के बीच करीब 4 घंटे तक चली बातचीत विफल साबित हुई है। भारतीय सेना की ओर से अभी भी एलएसी के आसपास के इलाकों में काफी सतर्कता बरती जा रही है और भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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सूत्रों का कहना है कि हालात नाजुक बने हुए हैं और इस कारण भारतीय सेना को पूरी तरह अलर्ट मोड पर रखा गया है।

पांच लोगों के अपहरण का मुद्दा उठाया

सीमा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना की ओर से चीनी सेना के समक्ष अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी जिले से 5 लोगों के अपहरण का मुद्दा भी उठाया गया है। अरुणाचल प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक ने चीन की सेना द्वारा 5 लोगों के अपहरण का सनसनीखेज खुलासा किया था। उन्होंने केंद्र सरकार से अरुणाचल प्रदेश के इन लोगों को छुड़ाने का भी अनुरोध किया था।

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