LAC विवाद का कारण: इसने भारत-चीन विवाद को दी आग, ऐसे दिया काम को अंजाम
करीब दो साल पहले भी डोकलाम (Doklam) में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव हुआ था। जिसकी वजह थी भारतीय सैनिकों द्वारा चीन को डोकलाम में एक सड़क बनाने से रोकना।
नई दिल्ली: लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इस मामले सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। हालांकि अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है। बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है।
डोकलाम में दो साल पहले सैनिकों के बीच हुआ टकराव
बता दें कि करीब दो साल पहले भी डोकलाम (Doklam) में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव हुआ था। जिसकी वजह थी भारतीय सैनिकों द्वारा चीन को डोकलाम में एक सड़क बनाने से रोकना। इससे चीनी सेना दक्षिण डोकलाम में जम्फेरी रिज की ओर वाहनों को ले जाती रही, जो कि सिलीगुड़ी गलियारे के पास स्थित है। डोकलाम गतिरोध की शुरूआत स्थानीय कमांडरों ने की और उसके बाद वरिष्ठ सैन्य कमांडरों तक ये बात पहुंची थी।
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73 दिनों बाद खत्म हुआ था विवाद
यह विवाद करीब 73 दिनों बाद खत्म हुआ था। विवाद तब खत्म हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने रखा। उसके बाद दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि दोनों राष्ट्र टकराव नहीं चाहते हैं। इस सहमति के बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं। अब एक बार फिर से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई हैं। हालांकि दोनों ही गतिरोध में एक चीज समान है, वो है जनरल झाओ जोंग्की। वो इस समय वेस्टर्न थिएटर कमांड के उच्च अधिकारी हैं।
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लद्दाख में हुए गतिरोध की शुरुआत ऊपर से हुई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक सरकारी का कहना है कि हमारी समझ बताती है कि लद्दाख में हुए गतिरोध की शुरुआत ऊपर से हुई है। सोमवार को हुई घटना से पहले भी भारतीय और चीनी सेनाओं में हिंसक झड़प हो चुकी थी। पहली झड़प 5-6 मई को हुई। जब दोनों देशों के सैनिक पेंगोंग त्सो के उत्तर में पेट्रोलिंग कर रहे थे। उस समय भी दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे, इसमें करीब 250 सैनिक शामिल थे।
45 साल बाद सीमा पर शहीद हुए हमारे शहीद
उसके बाद नौ मई को दोनों देशों के जवानों के बीच सिक्किम के लाकु ला क्षेत्र में बहस हो गई, जो बाद में हिंसा में तब्दील हो गई। इसमें भी भारतीय और चीनी सैनिक घायल हुए थे। चार भारतीय और सात चीनी सैनिकों को नुकसान हुआ। इस घटना में 150 जवान शामिल थे। ऐसा 45 साल बाद हुआ कि एलएसी पर हमारे जवान शहीद हुए हैं।
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उच्च कमांडर के नेतृत्व में उठाया ये कदम
एक अधिकारी ने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने ऐसा कदम उच्च कमांडर के नेतृत्व में उठाया। जिसमें तिब्बत और शिनजियांग सैन्य जिलों में एक जैसी ही रणनीति को अपनाया। उन्होंने मई में लद्दाख और सिक्किम में हुई घटना का हवाला दिया। दोनों ही सैन्य जिलों की रिपोर्टिंग जनरल झाओ करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि झाओ ही एलएसी कार्रवाई का निर्देश देते हैं।
अपने आप ऐसे कदम उठा रहे होंगे जनरल झाओ जोंग्की
हालांकि अधिकारियों का मानना है कि जनरल झाओ जोंग्की अपने आप ही इस तरह के फैसले ले रहे होंगे। एक राजनयिक ने कहा कि चीनी सेना की तरफ से गतिरोध को क्यों बढ़ाया जाता रहा है, जबकि दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत के बाद दोनों सेनाओं के पीछे हटने पर सहमति बनी थी। इसके बाद सोमवार को गलवान में हिंसक झड़प क्यों हुई।
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